त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती शनिवार (3 मार्च) को होगी। तीनों राज्यों में 60-60 विधानसभा सीट है। हालांकि तीनों ही राज्यों की 59-59 सीटों से मतदान हुआ था। त्रिपुरा में लेफ्ट, मेघालय में कांग्रेस और नागालैंड में फिलहाल एनडीए की सरकार है। सबसे ज्यादा नजरें त्रिपुरा पर टिकीं रहेंगी, जहां पिछले दो दशकों से लेफ्ट की सरकार है। केरल के अलावा लेफ्ट की सरकार बस इसी राज्य में है। इस बार बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। तमाम एग्जिट पोल में बीजेपी की जीत का अनुमान जताया गया है। अगर बीजेपी जीतती है तो यह न सिर्फ  राज्य की राजनीति, बल्कि देश की राजनीति में एक अहम पड़ाव होगा। चलिए आपको तीनों राज्यों के राजनीतिक समीकरणों से रूबरू करवाते हैं।


त्रिपुरा
त्रिपुरा की 60 में से 59 विधानसभा सीट के लिए 18 फरवरी को मतदान हुआ था। तीन मार्च यानी शनिवार को चुनाव परिणाम सामने आएंगे। त्रिपुरा में पिछले 25 साल से वाम दलों की सरकार है, लेकिन इस बार भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सीपीएम को कड़ी टक्कर देता नजर आ रहा है। बता दें कि त्रिपुरा में इस साल 91 फीसदी मतदान हुआ है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में कुल 292 उम्मीदवार मैदान में है। 60 विधानसभा वाले त्रिपुरा की 59 सीटों पर ही मतदान हुआ था। सीपीएम प्रत्याशी रामेंद्र नारायण के निधन के कारण चारीलाम विधानसभा सीट पर 12 मार्च को मतदान होगा। इस बार 23 महिलाओं सहित कुल 292 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। वाममोर्चा के गढ़ त्रिपुरा में इस बार सत्तारूढ़ वाममोर्चा को भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस ने भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। चुनाव प्रचार में इस बार भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पिछले विधानसभा चुनाव (2013) की बता करें तो सीपीएम को 49, सीपीआई को 1 और कांग्रेस को 10 सीटें मिलीं थी। वहीं भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।


मेघालय
मेघालय में 27 फरवरी को वोट डाले गए थे। यहां फिलहाल कांग्रेस सरकार है और कमान मुकुल संगमा के पास है। अनुसूचित जनजाति बाहुल्य मेघालय में भाजपा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और निर्दलियों के जरिए सत्ता पर काबिज होने की फिराक में है। मेघालय में काफी संख्या में निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायक जीतकर आते हैं। राज्य में 1976 के बाद किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। कांग्रेस गठबंधन के साथ सरकार बनाती रही है। बता दें कि 27 फरवरी को हुए मतदान में कुल 67 प्रतिशत वोटिंग हुई है। 60 सदस्यीय मेघालय विधानसभा की 59 सीटों के वोटिंग हुई। यहां 372 उम्मीदवार मैदान में हैं। कांग्रेस जहां सभी 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं एनपीपी 52, भाजपा 47, पीपल डेमोक्रेटिक फ्रंट 26, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी 21, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी 13, हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 13 और दूसरी पार्टियां चुनावी मैदान में हैं। इस चुनाव में 85 निर्दलीय और 33 महिला प्रत्याशी भी अपनी किस्मत आजमां रही हैं। ये चुनाव न केवल कांग्रेस के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है बल्कि भाजपा किसी भी सूरत में इस पहाड़ी राज्य में केसरिया झंडा फहराने की कोशिश में है। बता दें कि एक उम्मीदवार की मौत हो जाने के कारण 27 फरवरी को मेघालय की 59 विधानसभा सीटों पर ही मतदान संपन्न हो गए। पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस के खाते में 29 सीटें आई थीं। वहीं 13 निर्दलीय यहां से जीते थे। इसके साथ यूडीपी को 8, जीएनसी 1, एनसीपी को 2, एएसपीडीपी को 4, एनपीपी को 2 और एनईएसडीपी को 1 सीट मिली थी। वहीं भाजपा इस चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।


नागालैंड
नगालैंड में इस बार 75 फीसदी मतदान हुआ है। नागालैंड में चुनाव से पहले राजनीतिक ताकतों के समीकरणों में बदलाव हुआ है। बीजेपी ने नगा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) की अगुआई वाले डिमोक्रेटिक अलायंस ऑफ  नगालैंड (डीएएन) के साथ अपना 15 वर्ष पुराना संबंध तोड़कर कुछ समय पहले बनी नैशनल डिमोक्रेटिक पॉलिटिकल पार्टी (एनडीपीपी) के साथ गठबंधन किया है। राज्य विधानसभा में 60 सीटें हैं। इनमें से बीजेपी 20 और एनडीपीपी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एनडीपीपी के उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को राज्य विधानसभा में निर्विरोध चुन लिया गया है क्योंकि उनके विपक्षी उम्मीदवार ने नॉर्दर्न अंगामी-11 सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया। एनपीएप ने 58 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने एनपीएफ के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया है। लोकसभा के पूर्व स्पीकर पी ए संगमा की एनपीपी मणिपुर में बीजेपी की अगुआई वाली सरकार में सहयोगी है, लेकिन मेघालय विधानसभा चुनाव में अकेले खड़ी है।