/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2018/02/13/manik-sarkar-5a82954a2e13f.jpg)
त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव के अभी तक के जो रुझान आए हैं उससे स्पष्ट है यहां सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट और भाजपा गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है। सबसे हैरान करने वाली खबर धानपुर सीट से आ रही है। यहां से मुख्यमंत्री माणिक सरकार पीछे चल रहे हैं। यह सीपीएम के लिए तगड़ा झटका है। सीपीएम ने इस बार का चुनाव भी माणिक सरकार के चेहरे पर लड़ा है।
माणिक सरकार पिछले 20 साल से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। उनकी छवि ईमानदार नेता की है जो उनकी ओर से की गई संपत्ति की घोषणा से भी स्पष्ट होता है। मणिक सरकार 1998 से लगातार इस सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1998 में इसी सीट से चुनाव जीतने के बाद ही माणिक सरकार पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। धानपुर सीट शुरु से वामपंथियों का गढ़ रही है। 1972 से लेकर अब तक(2013) हर बार यहां से सीपीएम उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। माणिक सरकार चार बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। इससे पहले सीपीएम के ही समर चौधरी पांच बार यहां से विधायक रहे हैं।
भाजपा ने यहां से प्रतिमा भौमिक को चुनाव मैदान में उतारा था। भौमिक पहले भी इस सीट से दो बार चुनाव लड़ चुकी है लेकिन दोनों बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। प्रतिमा भौमिक 1998 और 2003 में दोनों बार तीसरे स्थान पर रही थी। आपको बता दें कि प्रतिमा चौधरी स्टेट बीजेपी की महासचिव हैं। इस बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और लक्ष्मी नाग को पार्टी का प्रत्याशी बनाया। 2013 के विधानसभा चुनाव में माणिक सरकार ने कांग्रेस के शाह आलम को 6,017 वोटों से हराया था।
माणिक सरकार को कुल 21,286 वोट मिले थे जबकि शाह आलम को 15,269। माणिक सरकार को पहली बार 21 हजार से ज्यादा वोट मिले थेे। 1998 में माणिक सरकार ने कांग्रेस के मुजिबुर इस्लाम मजूमदार को 3,103 वोटों से हराया। माणिक सरकार को 12,771 जबकि रहमान को 9,668 वोट मिले थे। 2003 में सरकार ने फिर से यह सीट हथिया ली। इस बार उन्होंने कांग्रेस के दीपक चक्रवर्ती को 4,502 वोटों से हराया। सरकार को कुल 15,613 जबकि चक्रवर्ती को मिले 11,111 वोट मिले। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार बदल लिया। कांग्रेस ने शाह आलम को मैदान में उतारा। सरकार ने आलम को 2,918 वोटों से हरा दिया। माणिक सरकार को वोट मिले 17,992 जबकि आलम को मिले 17,074।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |