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मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का कहना है कि बलात्कारियों के खिलाफ राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में कठोर कानून लेकर आएगी। इसके लिए कानूनविदों से चर्चा करने के साथ विधायकों के साथ भी सलाह-मशवरा किया जाएगा। विधानसभा में सोनोवाल शून्यकाल के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीडऩ को रोकने के लिए कड़े कानून की जरूरत चर्चा पर बोल रहे थे।
महिला यौन उत्पीडऩ की बीमारी पूरे देश में फैली
उन्होंने कहा कि महिला यौन उत्पीडऩ की बीमारी पूरे देश में फैल रही है। विभिन्न राज्यों से ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं। आने वाले दिनों में हम भी वैसा ही कानून बनाएंगे, जैसा कानून राज्य की जनता चाहती है। ऐसे मामलों में सरकार की नीति शून्य सहनशीलता है। उन्होंने कहा कि राज्य के फोरेंसिक विभाग को भी अत्याधुनिक सुविधा से लैस करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि पुलिस को घटना से जुड़े सबूतों को फोरेंसिक जांच के लिए कोलकाता भेजना पड़ता है। कभी-कभी जांच रिपोर्ट देर से पहुंचने पर पूरी न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है।
राज्य के हर जिले में बनेगी फास्ट ट्रैक
सोनोवाल ने कहा कि असम की जनता चाहती है कि ऐसे मामलों के अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। हमें कानून के दायरे में रहकर ऐसे अपराधियों को कठोर सजा दिलानी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर बहुत से अपराधी 3-4 मुकदमा लडऩे के बाद सजा पाने से साफ बच जाते हैं, ऐसे में आमजन के मन में शंका होना स्वाभाविक है कि क्या ऐसे अपराधियों को सजा मिलेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के हर एक जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों को ऐसे मामलों से निपटने के लिए विशेष जिम्मेदारी दी गई है।
उत्पीडऩ की समस्या को चुनौती के रूप में लेना होगा: सोनोवाल
उन्होंने कहा कि महिला यौन उत्पीडऩ की घटना एक सामाजिक बीमारी बन गई है और समाज में ऐसी घटनाओं में शामिल अपराधियों के लिए कोर्ई जगह नहीं हो सकती है। हम सभी को एकजुट होकर समाज को इस बीमारी से झुटकारा दिलाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक महिलाए उत्पीडऩ की घटनाएं जारी रहेगी, समाज शांति से नहीं रह सकता। लिहाजा इस समस्या को एक चुनौती के रूप में लेना होगा।
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