टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम को मेडल मिलने की गूंज पाकिस्तान में भी सुनाई दे रही है। एक वक्त था, जब भारत और पाकिस्तान पुरुष हॉकी के बेताज बादशाह हुआ करते थे लेकिन वो दौर भी आया जब दोनों मुल्क हॉकी में आखिरी पंक्ति में पहुंच गए। लेकिन आज टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हरा दिया।

इसके साथ ही ओलंपिक में भारतीय हॉकी में सूखे के दौर पर विराम लग गया। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला टीम भी कांस्य पदक के लिए शुक्रवार को ब्रिटेन से भिड़ने वाली है।पाकिस्तान के मशहूर अंग्रेजी अखबार डॉन में स्पोर्ट्स के हेड अब्दुल गफ्फार ने भारतीय टीम की जीत पर लिखा है, ''50, 60 और 70 के दशक में भारत और पाकिस्तान हॉकी के बादशाह थे। भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक मेडल जीत सूखे को आज खत्म किया है। भारत की जीत से पाकिस्तान हॉकी को सबक लेना चाहिए। पहली बात तो यह कि पाकिस्तान हॉकी और पैसे निवेश करे और विदेशी कोच लाए।''भारतीय हॉकी टीम का अतीत ओलंपिक में शानदार रहा है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 में गोल्ड मेडल जीते थे और 1960 में सिल्वर मेडल। 1968 और 1972 में कांस्य पदक और इस बार टोक्यो ओलंपिक में भी कांस्य पदक मिला। 1984 के ओलंपिक में भारत पांचवे नंबर पर रहा। 1988 में छठे और 1976, 1992, 2000, 2004 में सातवें नंबर पर रहा. 1996 और 2016 में आठवें नंबर पर और 2012 में 12वें नंबर पर रहा।पाकिस्तानी पत्रकार शिराज हसन ने लिखा है, ''41 साल बाद आखिरकार भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।'' शिराज के इस ट्वीट पर लखनऊ की प्रियंका हेमवंती भट्ट ने लिखा है, ''शिराज आप बहुत अच्छे इंसान हो..मैंने हमेशा देखा है, आपने हमेशा अच्छाई ही दिखाई है। शुक्रिया आपको। आप उम्मीद पैदा करते हैं कि एक न एक दिन अच्छाइयां एकजुट होंगी।''इससे पहले भारत हॉकी के सेमीफाइनल में भी पहुंचा था तो पाकिस्तान के लोगों ने सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ की थी। सेमीफाइनल में पहुंचने पर मुहम्मद कमर उल हक ने लिखा था, ''टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने पर भारतीय पुरुष टीम को बधाई। 41 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत को ऐसा करने में कामयाबी मिली है।''पाकिस्तान के लोग अपने यहां भारत की हॉकी में जीत से प्रेरणा और सीख लेने के लिए कह रहे हैं। पाकिस्तान की हॉकी टीम इस बार ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई भी नहीं कर पाई थी। अभी हॉकी में पाकिस्तान की 18वीं रैंकिंग है। यह लगातार दूसरी बार है जब पाकिस्तान ओलंपिक में क्वॉलिफाइ नहीं कर सका। 2014 के हॉकी वर्ल्ड कप में भी पाकिस्तान क्वॉलिफाई नहीं कर पाया था। यह उस मुल्क की हॉकी की हालत है, जिसने ओलंपिक में तीन गोल्ड मेडल जीते थे।पाकिस्तान में हॉकी का पतन 1980 के दशक से शुरू हो गया था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 1970 के दशक में कृत्रिम टर्फ पर हॉकी खेलना शुरू हुआ तब से पाकिस्तान और भारत दोनों की टीमें लड़खड़ाईं और आज तक उस तरह से वापसी नहीं कर पाईं।दोनों टीमों को घास के मैदान का बादशाह कहा जाता था। ये भी कहा जाता है कि पाकिस्तान के हॉकी में पिछड़ने की वजह महंगाई भी एक कारक है। पहले हॉकी स्टिक्स लकड़ी के होते थे, जो बाद में ग्रेफाइट के होने लगे। इसके अलावा, एस्ट्रोटर्फ के लिए भी बड़े फंड की जरूरत पड़ने लगी।पाकिस्तान पत्रकार फैजान लखानी ने हॉकी में भारत की जीत पर लिखा है, ''1980 के बाद भारत पहली बार ओलंपिक हॉकी के सेमीफाइनल में पहुंचा है। 2008 में भारत ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई नहीं कर पाया था और 2012 में सबसे नीचे रहा था। पाकिस्तान 2008 में आठवें नंबर पर था और 2012 में सातवें नंबर पर। भारत ने हॉकी के लिए कई कदम उठाए और उसका फायदा मिला। हम लोग अब भी 80 के दशक वाली सोच में हैं और उससे आगे नहीं निकल पा रहे हैं।"