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अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनाने के लिए आतुर हैं लेकिन इसे अभी तक मान्यता नहीं मिली है। वैसे तो तालिबान अफगान के राष्ट्रपति भवन पर काबिज हो चुका है और साथ ही अफगान क 34 प्रांतों में से 32 प्रांतों पर अपना नियंत्रण कर चुका है। अब अपनी सरकार का ऐलान कर चुका है और साथ अफगान में कई तरह के नियमों में बदलाव और शरिया कानून लागू करने की घोषणा कर चुका है। अमेरिका तालिबान को चेतावनी दे चुका है।

आज तालिबान को लेकर अमेरिका और उसके अन्य सहयोगी देशों की ओर से आज बड़ा फैसला लिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि तालिबान को दुनिया में अलग-थलग करने के लिए तमाम तरह के प्रतिबंध लागू किए जाएंगे या फिर उसे मान्यता मिलेगी, यह फैसला आज की मीटिंग में किया जा सकता है। आज जो बाइडेन जी-7 देशों के नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग होगी।
यूरोपियन राजनयिक
कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो देशों की सेनाओं को 31 अगस्त के बाद भी कुछ वक्त तक रोके रहने को लेकर भी बात हो सकती है। एक यूरोपियन राजनयिक ने बताया है कि “ इस मीटिंग में जी-7 के नेता यह फैसला लेंगे कि तालिबान को मान्यता देनी है या नहीं। यदि देनी भी है तो उसका समय क्या रहेगा। इसके अलावा इस बैठक में आगे भी साथ मिलकर काम करने पर सहमति बनेगी ”।

उल्लेखनिय है कि 15 अगस्त को तालिबान के अचानक अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिए जाने से अमेरिका और उसके सहयोगी देश भी हैरान हैं। तालिबान के कब्जे के बाद से हजारों लोग रोज अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं। इस बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देश आक्रामक होने की बजाय बचाव की मुद्रा में हैं और किसी तरह अपने लोगों को काबुल से निकालने पर फोकस कर रहे हैं।
जानकारी दे दें कि जी-7 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं। इस मीटिंग में तालिबान को आधिकारिक मान्यता देने या नहीं देने पर फैसला हो सकता है। इसके अलावा कुछ प्रतिबंधों को लागू कर तालिबान को महिलाओं के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन के लिए बाध्य करने पर सहमति बन सकती है। अमेरिका में ब्रिटिश राजदूत कारेन पियर्स ने कहा कि इस मीटिंग में बोरिस जॉनसन मिलकर समाधान निकालने पर जोर दे सकते हैं। बैठक में यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतारेस और संयुक्त राष्ट्र क महासचिव जेन स्टॉलटेनबर्ग भी शामिल हो सकते हैं।
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