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देश में कोरोना महामारी के बाद देश आर्थिक मामलों से उभर नहीं पा रहा है। इसी बीच मध्यप्रदेश खुशखबरी मिली है। वैसे तो देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन अब शायद लग रहा है कि भारत देश को हीरों को देश कहा जाने लगेगा। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के छतरपुर में जमीन के अंदर 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे हुए हैं। एक दम शुद्ध हीरे मध्यप्रदेश की धरती में समाहित हैं।
एक कहावत तो सुनी होगी की कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। इसी तरह से मध्यप्रदेश के छतरपुर से जमीन हीरे पाने के लिए पर्यावरण की बलि देनी पड़ेगी। बताया जा रहा है कि हीरों को निकालने के लिए 382.131 हेक्टेयर में फैले जंगल के 2 लाख 15 हजार पेड़ों की बलि देनी पड़ेगी। छतरपुर जिले के बकस्वाहा के जंलग की जिस जमीने में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे के दबे होने का अनुमान है।
खबर मिली है कि वहां सागौन के 40 हजार पेड़ों के अलावा बहेड़ा, अर्जुन, पीपल, तेंदु, और केम जैसे औषधीय पेड़ हैं। अगर हीरों को निकाला जाता है तो इन कीमती पेड़ों को उखाड़ना पड़ेगा। प्रशासन का दावा है कि पन्ना जिले में देश का सबसे बड़ा हीरों का भंडार है। पन्ना जिले में जमीन में 22 लाख कैरेट के हीरे हैं, जिनमें से करीब 13 लाख कैरेट के हीरे निकाले भी जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस भंडार के बाद अब बकस्वाहा में पन्ना जिले से 15 गुना ज्यादा हीरे निकलने के कयास लगाए जा रहे हैं।
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