/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2023/03/03/tmc-income-1677830879.png)
कोलकाता: भारत में भारतीय जनता पार्टी इस समय देश की सबसे अमीर पार्टी है, लेकिन उसका मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस दूसरी सबसे अमीर पार्टी नहीं रही। जी हां, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब TMC यानि तृणमूल कांग्रेस देश की दूसरी सबसे अमीर पार्टी है। इस पार्टी की कमाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। आपको बता दें कि चुनावी बॉन्ड सिस्टम के लागू करने के बाद टीएमसी भाजपा के बाद दूसरी सबसे अमीर पार्टी बनकर उभरी है। यह जानकारी वित्तीय वर्ष 2021-22 में काय मामले की एक रिपोर्ट में सामने आई है। एसोसिएशन ऑफ डेमोकेट्रिक रिफॉर्म्स की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें वित्तीय वर्ष में चुनावी बॉन्ड दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों की इनकम पर यह रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के पास 1,917 करोड़ रुपये की दौलत है और सबसे अधिक आय करने वाली पार्टी है। जबकि, तृणमूल कांग्रेस अब 545.75 करोड़ रुपये की दौलत के साथ वो दूसरे स्थान पर आ गई है। वहीं, कांग्रेस की आय 541.27 करोड़ रुपये है।
यह भी पढ़ें : त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय चुनाव रिजल्ट के बीच PM मोदी का झटका, सामने आई ये चौंकाने वाली रिपोर्ट
TMC ऐसे बनी दूसरी सबसे अमीर पार्टी
इस रिपोर्ट के अनुसार कुल आय के चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय के प्रतिशत के मामले में तृणमूल कांग्रेस भाजपा को भी पीछे छोड़ते हुए पहले स्थान पर आ गई। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 के दौरान तृणमूल कांग्रेस की आय का लगभग 97 प्रतिशत इलेक्टोरल बॉन्ड से हुई है। भाजपा के मामले में चुनावी बॉन्ड समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष के दौरान उसकी कुल आय का सिर्फ 54 प्रतिशत योगदान देते हैं। खर्च की बात की जाए तो तृणमूल कांग्रेस ने वित्त वर्ष के दौरान अपनी कुल आय का 49.17 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया है। जबकि इसी अवधि में भाजपा का यह आंकड़ा 44.57 प्रतिशत है। कांग्रेस ने समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष के दौरान अपने व्यय का लगभग 74 प्रतिशत खर्चा किया।
यह भी पढ़ें : PM मोदी के सामने 'चक्रवाती तूफान' है खालिस्तान, इंदिरा गांधी का कर चुका है ऐसा बुरा हाल
कब शुरू हुआ चुनावी बांड
आपको बता दें चुनावी बॉन्ड सिस्टम 2018 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुरू किया था। उस समय सभी विपक्षी दलों ने सिस्टम में अधिक पारदर्शिता की मांग की थी ताकि कोई भी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत इस स्रोत से होने वाली आय के बारे में जानकारी हासिल कर सके। 2018 में मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों की ओर से फंड जुटाने के लिए ये बॉन्ड जारी किया था, जिसे चुनावी बॉन्ड कहा जाता है। आपको बता दें कि बॉन्ड का मकसद ही होता है बाजार से उधार लेना है।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |