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तृणमूल कांग्रेस की नवनियुक्त नेता सुष्मिता देव ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी ने त्रिपुरा में अपना जनाधार मजबूत करने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकताओं और नेताओं को पार्टी में शामिल करने के प्रयास तेज कर दिये हैं।
देव राज्य में संगठन को आकार देने और तृणमूल कांग्रेस की त्रिपुरा राज्य समिति का गठन करने के लिए एक पखवाड़े के दौरे पर यहां पहुंचीं हैं। आगमन के बाद उन्होंने कई भाजपा विधायकों, सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेताओं और कांग्रेस नेताओं से व्यक्तिगत रूप से बात की। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद सभी भाजपा, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों से तृणमूल में शामिल होने का आह्वान किया ताकि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘भाजपा सरकार की जनविरोधी गतिविधियों’ के खिलाफ लड़ाई तेज की जा सके।
उन्होंने भाजपा विधायक सुदीप रॉयबर्मन के साथ बैठक की और राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। देव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस आलाकमान ने हमेशा त्रिपुरा की उपेक्षा की है, इसे राष्ट्रीय स्तर पर माकपा से दोस्ती करने के लिए सौदेबाजी के काउंटर के रूप में इस्तेमाल किया है, जिसके कारण 2018 में भाजपा को फायदा मिला और वह चुनाव जीत गयी। उन्होंने कहा, बिप्लब कुमार देब को यह समझना चाहिए कि लोगों ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को नहीं, माकपा के खिलाफ वोट दिया था और अब त्रिपुरा के लोगों ने इस सरकार को हटाने का फैसला किया है, क्योंकि इसने लोगों को धोखा दिया है।
देव ने भाजपा-आईपीएफटी सरकार के साढ़े तीन साल के शासन के दौरान तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर लगातार हमलों की आलोचना करते हुए कहा कि तृणमूल हिंसा में विश्वास नहीं करती है, लेकिन भाजपा यहां लंबे समय से हिंसा कर रही है और राज्य सरकार मूक भूमिका निभा रही है, जिससे परोक्ष रूप से उपद्रवी प्रोत्साहित हुए हैं। उन्होंने कहा, जब तक भाजपा नेता अपने अनियंत्रित कार्यकर्ताओं को नियंत्रित नहीं करते, तब तक तृणमूल प्रतिक्रिया देती रहेगी। देब ने कांग्रेस नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए आरोप लगाया कि 1993 में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के माध्यम से त्रिपुरा में राष्ट्रपति शासन लगाने का नया तरीका अपनाया था और तब से सभी चुनावों में कांग्रेस आलाकमान ने अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता में बने रहने में माकपा की मदद की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उनकी पार्टी में कोई भविष्य नहीं है और उन सभी को तृणमूल में शामिल होना चाहिए। तृणमूल भाजपा के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ेगी और 2023 में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों में इसे लोकतांत्रिक तरीके से बेदखल करेगी।
देब ने भविष्यवाणी की कि भाजपा के पास अगले चुनाव में त्रिपुरा में फिर वापस आने का कोई मौका नहीं है, क्योंकि राज्य के लोगों ने उसके शासन का अनुभव किया है और देखा है कि उन्होंने मतदाताओं को कैसे धोखा दिया। तृणमूल नेता ने कहा, त्रिपुरा के लोगों ने 25 वर्षों तक कम्युनिस्टों और कांग्रेस तथा बाद में भाजपा का शासन देखा है। और उन सभी ने राज्य के विकास के लिए कुछ नहीं किया है। हमें मतदाताओं पर पूरा भरोसा है कि वे निश्चित रूप से अगले चुनाव में तृणमूल को वोट देंगे, क्योंकि वे 2011 से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का शासन देख रहे हैं।
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