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Russia Ukraine War के 18 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन युद्ध अभी तक खत्म नहीं हुआ है। रूसी सैनिक लगातार यूक्रेन पर अपना कब्जा जमाते जा रहे हैं। कीव के कुछ इलाकों को पूरे तरीके से तबाह कर दिया है। इसी बीच एक चौंका देने वाला खुलासा राष्ट्रपति पुतिन को लेकर हुआ है जिससे लोगों को जानकर हैरानी है।
यूके की खुफिया एजेंसी MI6 के प्रमुख ने सर रिचर्ड डियरलोव का कहना है रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को Parkinson’s Disease हो सकती है। उनका कहना है कि उनकी सार्वजनिक उपस्थिति का तरीका बदल गया है। यह इस बात का सबूत है कि वो स्टेरॉयड ले रहे हों। यह चिंता करने वाली बात है। इससे पहले भी पुतिन के स्टेरॉयड लेने की बात कही गई है जो उन्हें गुस्सैल बना रहा है।
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क्या है पार्किंसंस बीमारी-
पार्किंसंस डिजीज एक ब्रेन डिसऑर्डर है। यह ब्रेन से जुड़ी बीमारी है जिसका असर पूरे शरीर पर होता है। महिलाओं के मुकाबले इसके मामले पुरुषों में 50 फीसदी तक अधकि पाए जाते हैं। इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों में दिमाग के साथ शरीर और उसके बिहेवियर में भी बदलाव दिखने लगता है।
नतीजा, मरीज को चलने और बैलेंस बनाने में दिक्कत होती है। समय के साथ इस बीमारी का असर भी बढ़ता है। नतीजा, नींद न आने की समस्या, डिप्रेशन, याद्दाश्त की समस्या और थकान बढ़ती है। इस बीमारी का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर उम्र है। इस बीमारी के दिखने की शुरुआत 60 साल की उम्र हो जाती है। कुछ लोगों में इसके लक्षण 50 साल की उम्र से दिखने लगते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है जीन म्यूटेशन के कारण ऐसा हो सकता है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्रेन का एक खास हिस्सा (बेसल गैंगलिया) शरीर को कंट्रोल करने का काम करता है। इस हिस्से में नर्व कोशिकाएं होती है जो ऐसा करने में अहम रोल निभाती हैं। जब यह कोशिकाएं खत्म होने लगती हैं और अपना असर खोने लगती हैं तो पार्किंसन डिजीज के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।
यह नर्व कोशिकाएं शरीर में Dopamine chemical का निर्माण करती हैं, लेकिन इनके डैमेज होने या खत्म होने पर ऐसा नहीं हो पाता, नतीजा बीमारी अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। शरीर में डोपामाइन कम बनने पर शरीर के मूवमेंट घटने लगता है। हालांकि ऐसा क्यों होता है वैज्ञानिक सटीक तौर पर इसका पता नहीं लगा पाए हैं।
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पार्किंसन डिजीज और स्टेरॉयड का कनेक्शन
वेल्स की स्वानसी यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है कि स्टेरॉयड पार्किंसन बीमारी के इलाज में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ये बीमारी के असर को कम कर सकते हैं। एक अन्य रिपोर्ट कहती है, अगर कोई स्टेरॉयड ले रहा है तो उस इंसान में पार्किंसन बीमारी होने का खतरा 20 फीसदी तक कम हो जाता है।
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