इंसान प्रदूषण के स्त्रोत बढ़ाकर अपने ही जीवन को नष्ट कर रहा है। हर मिनट में कई प्रजातियां लुप्त हो रही है और इसका कारण बढ़ता प्रदूषण है। हैरानी की बात तो यह है कि इस प्रदूषण का जिम्मेदार इंसान है। अब पृथ्वी नष्ट होने की कगार पर आ गई है। कई चीजें तो हमारी आंखों के सामने हैं। अभी की बात करें तो मौसम के हालात खराब हैं। कई जगहों पर बादल हैं लेकिन बारिश नहीं हैं और कई जगहों पर बाढ़ के हालात हैं।


अभी एक रिसर्च से ज्ञात हुआ है की क जीवों की 2020 तक यह गिरावट 67 फीसदी हो जाएगी। जिसेस इंसान का जीना हराम हो जायेगा। इस गिरावट का एक ही संकेत है कि धरती पर इंसान सबसे ताकतवर हो चुका है लेकीन अभी इंसान को इसकी खबर नहीं है की उसके बढ़ते वर्चस्व के कारण कितनी बढ़ी आफत आ सकती है। कई लोगों के द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण के लिए की गई कोशिशें भी कोई खास कामयाब नहीं हो रही हैं।

जंगल, नदियां और सागर की जैव विविधता खत्म हो रही है। विज्ञान का कहना है की हम पृथ्वी पर एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं जिसे एंथ्रोपोसीन कहा जा सकता है। कई प्रजातियां के घटने के पर किये गये अध्ययन में मटर के दाने के आकार के मेंढकों से लेकर 100 फुट लंबी व्हेल मछलियों तक कुल मिलाकर 3700 प्रजातियों के कुल 14,200 जानवर शामिल है। इंसान की बढ़ती आबादी के अलावा और प्रदूषण, शिकार और जलवायु परिवर्तन भी खतरनाक कारक है। इंसान की बढ़ती लालचता और प्लास्टिक के कारण इंसान के साथ ये जानवर भी बिना किसी दोष के सजा भुगत रहे है।