अफगानिस्तान के कई इलाकों में सरकारी सुरक्षा बलों और तालिबान आतंकियों के बीच हिंसक झड़पों की खबरों के बीच शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अफगानिस्तान को लेकर एक अहम बैठक होने जा रही है। यूएनएससी की इस बैठक की अध्यक्षता भारत करेगा और भारत की तरफ से यह भी कोशिश होगी कि हिंसा को बढ़ावा देने वाले तालिबान व उसे समर्थन देने वाली ताकतों के खिलाफ एक निंदा प्रस्ताव पारित किया जाए।

दो दिन पहले ही अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री से बात की थी और यूएनएससी में इसे उठाने का प्रस्ताव किया था। नई दिल्ली में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंदजई ने कहा है कि, यूएन सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर आपातकालीन बैठक एक सकारात्मक कदम है। यूएन और दूसरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि अफगानिस्तान में आतंकियों की तरफ से की जा रही हिंसा और अत्याचार को रोका जा सके। मामुंदजई ने भारत की तरफ से इसमें अग्रणी भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद भी दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर शुक्रवार को चर्चा होगी। भारत इसमें अपना पक्ष रखेगा और हमें उम्मीद है कि चर्चा से कोई न कोई सकारात्मक बात निकलेगी। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत अफगानिस्तान के हालात पर करीबी नजर रखे हुए है। हम वहां शीघ्रता से शांति स्थापित करने के पक्ष में हैं। भारत चाहता है कि वहां अफगानिस्तान के लोगों के नेतृत्व और उनके नियंत्रण में शांति की राह निकले।

बुधवार को यूएनएससी ने अफगानिस्तान पर जो बयान जारी किया है उससे साफ है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में वहां के खराब होते हालात को लेकर निराशा व क्षोभ बढ़ता जा रहा है। इसमें तालिबान की तरफ से किए जा रहे हमलों को तत्काल रोकने, मानवाधिकार का उल्लंघन रोकने व पूरे देश में युद्ध जैसी स्थिति को खत्म करने की अपील है। यूएनएससी ने यह भी माना कि उसे इस बात की जानकारी है कि तालिबान की तरफ से जानबूझ कर नागरिकों के ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है। यूएनएससी ने भी वही बात दोहराई है जो भारत कहता रहा है यानी अफगानिस्तान की समस्या के समाधान में वहां की जनता को ही प्रमुख भूमिका निभाने दिया जाए।