अफगानिस्तान की शांति भरी नैया डूब गई है और अब तालिबान की वापसी ने पूरी देश में ऐसी सुनामी ला दी है, जिसमें नागरिक अपनी जान बचाते भागते हुए नजर आ रहे हैं। लगेज बैगों में अपने आप को बंद कर किसी सुरक्षित जगहों की तलाश कर रहे हैं। राष्ट्रपति भवन पर  काबिज होते ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आतंकी संगठन ने भगवान बुद्ध की प्रतिमा को बम से उड़ाकर तहस-नहस कर दिया था।

जानकारी के लिए बता दें कि तालिबान ने बामियान में मारे गए हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा को ध्वस्त कर दिया है। इस घटना से तालिबान ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान बामियान स्थित बुद्ध भगवान की मूर्तियों के विनाश की एक निष्ठुर याद की झलक दिखा दी है। अब अफगानिस्तान के हालात वाकई में उफ्फ- आतंकी-निस्तान हो गया है।  अ ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट सलीम जावेद ने ट्वीट किया कि ...तो तालिबान ने बामियान में मारे गए हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की प्रतिमा को उड़ा दिया है।

पिछली बार जब तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर राज करने की कोशिश की थी तब नेता अब्दुल अली मजारी मार डाला था, बामियान स्थित बुद्ध की विशाल मूर्तियों और सभी ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों को उड़ा दिया था। बता दें कि 20 साल पहले के अपने राज में तालिबान बर्बर सजाओं और क्रूर शासन के लिए कुख्यात है।

गौरतलब है कि हजारा नेता अब्दुल अली मजारी एक हजारा नेता था, जिन्हें 1995 में तालिबान ने मार डाला था। तालिबान वर्षों से हजारा समुदाय पर बार-बार हमला करता रहा है। हजारा अल्पसंख्यक समूह है, जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान के पहाड़ी मध्य क्षेत्र में केंद्रित है, जिसे हजराजत के नाम से जाना जाता है। हजारों को मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज खान और मंगोल सैनिकों के वंशज कहा जाता है।