अहमदाबाद। पहले क्या आया? मुर्गी या अंडा यह प्रश्न बीत पुराना हो चुका है। नवीनतम पहेली यह है कि क्या मुर्गी एक जानवर है। इस सवाल पर गतिरोध बुधवार को गुजरात उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी रहा, जिसमें बूचड़खानों के बजाय चिकन की दुकानों पर पोल्ट्री पक्षियों को मारने पर आपत्ति जताई गई थी।

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पोल्ट्री व्यवसायी और चिकन दुकान के मालिक उम्मीद कर रहे हैं कि हाईकोर्ट उनकी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा और उन्हें अपनी दुकानें फिर से खोलने की अनुमति देगा। HC ने मांस और पोल्ट्री की दुकानों को नियमों का उल्लंघन करने और स्वच्छता मानकों को बनाए नहीं रखने के कारण बंद करने का आदेश दिया था।

नागरिक निकायों, मुख्य रूप से सूरत नगर निगम, ने कई दुकानों को यह कहते हुए बंद कर दिया कि जानवरों को बूचड़खानों में मारा जाना चाहिए न कि दुकानों में। यह हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाओं के बाद था जिसमें विभिन्न कानूनों को लागू करने और बूचड़खानों के समुचित कार्य के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की मांग की गई थी।

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याचिकाकर्ता एनजीओ एनिमल वेलफेयर फाउंडेशन और अहिंसा महासंघ ने नियमों को सख्ती से लागू करने की मांग की और दुकानों में मुर्गियों के वध का विरोध किया।