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दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिनको दो वक्त के खाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। बहुत से लोग हैं, जो भीख मांगकर जीवनयापन करने के लिए मजबूर हैं। हमने रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड, मंदिर, मेट्रो स्टेशन, बाजार या किसी अन्य जगह पर भीख मांगते हुए कई लोगों को देखा होगा । भारत में भीख मांगने वाले लोग बड़ी तादाद में हैं और देश में भीख मांगने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन एक ऐसा भी शहर है, जहां भीख मांगने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है।
यह शहर यूरोपीय देश स्वीडन स्थित ‘एस्किलस्टूना’ है। करीब एक लाख की आबादी वाला यह शहर स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से पश्चिम की ओर पड़ता है। कुछ साल पहले यहां पर भीख मांगने वालों के लिए लाइसेंस फीस अनिवार्य कर दी गई है। इस नियम का मतलब है कि अगर यहां पर अगर कोई व्यक्ति लोगों से भीख मांगना चाहता है तो इसके लिए उन्हें सबसे पहले अनुमति लेनी होगी। यह अनुमति उन्हें एक छोटी सी फीस चुकाने के बाद ही मिलेगी।
इस नियम के तहत लोगों को भीख मांगने के लिए एक वैलिड आईडी कार्ड देने के अलावा 250 स्वीडिश क्रोना (स्वीडन की करेंसी) खर्च करना होता है। यहां की मीडिया रिपोट्र्स में लोकल नेताओं के हवाले से कहा गया है कि वो यहां पर भीख मांगने के चलन को मुश्किल बनाना चाहते हैं। इसके अलावा यहां की अथॉरिटी को यह जानने में आसानी होगी कि शहर में कहां और कितने ऐसे लोग हैं, जिन्हें भीख मांगने की जरूरत पड़ रही है। ऐसे लोगों से संपर्क करने और उन्हें जरूरी मदद करने में सहूलियत होगी।
एस्किलस्टूना के मुनिसिपल काउंसिलर का कहना है कि जानबूझकर इस तरह की समस्याओं को नौकरशाही ढांचे में शामिल किया जा रहा है और इसे कठिन बनाया जा रहा है। अब यह देखना है कि आगे यह कैसे चलता है। उन्होंने कहा कि बहुत कुछ यहां की पुलिस पर भी निर्भर करता है। यहां की स्थानीय मीडिया ने दावा किया है कि इस नियम के लागू होने के बाद भीख मांगने वाले लोग अब कुछ छोटे-मोटे दूसरे काम करने की ओर बढ़ रहे हैं। कुछ ने तो बेरीज बेचना शुरू कर दिया है। इस नियम के विरोध में खड़े होने वालों का कहना है कि भीख मांगने वाले कुछ लोगों की स्थिति बेहद नाजुक है। ऐसे लोगों के लिए कानून और प्रशासन ही दबावा है, वो इनकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं। उनका तर्क है कि कुछ लोग को तो यहां की प्रशासनिक एवं कानूनी व्यवस्था की वजह से भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ता है। सरकार ने भीख मांगने वाले और जरूरतमंद लोगों के बीच के अंतर को समझना होगा। इनकी मदद के लिए दूसरे रास्ते तलाशन होंगे।
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