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चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि बंगाल के IPS अफसरों को केंद्र प्रतिनियुक्ति पर बुला सकता है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच बीते दिनों IPS अधिकारियों के ट्रांसफर से जुड़ा जो विवाद हुआ था, उसको लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता द्वारा इस मामले में केंद्र के पास ज्यादा अधिकार होने का मुद्दा उठाया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को ही खारिज कर दिया।दरअसल, पश्चिम बंगाल के रहने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अबु सोहेल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। आईपीएस (कैडर) एक्ट, 1954 के नियम 6(1) पर सवाल खड़े करते हुए कहा गया कि केंद्र सरकार के पास राज्य सरकार द्वारा ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दों पर अधिक शक्ति है।याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र द्वारा लिए गए एक्शन का प्रभाव झेलना पड़ता है। ऐसे में इस प्रक्रिया को ओर अदालत को ध्यान देना चाहिए. हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इसमें दखल नहीं देंगे और इसी के साथ याचिका को रद्द कर दिया।आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल के तीन आईपीएस को केंद्र में ट्रांसफर किया था। तीनों अफसरों को बंगाल से वापस बुलाया गया था, लेकिन इसपर बंगाल सरकार ने आपत्ति जाहिर की थी। अफसरों की कमी का हवाला देते हुए बंगाल सरकार ने अफसरों को भेजने से इनकार किया था, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था।बंगाल में चुनाव के ऐलान से पहले जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का काफिले पर हमला हुआ था, तब केंद्र और राज्य के बीच तलवारें खिंच गई थीं। गृह मंत्रालय ने बंगाल के अफसरों को तलब भी किया था, लेकिन किसी ने रिपोर्ट नहीं किया था।बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले भी कई बार केंद्र सरकार पर अफसरों के ट्रांसफर में दखल देने, राज्यपाल द्वारा सरकार के काम में दखल देने का आरोप लगाती रही हैं। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही टीएमसी और बीजेपी में इस मसले पर तकरार और भी अधिक बढ़ी है।फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |