सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कृषि कानूनों पर बनी समिति (supreme court appointed panel) के सदस्य अनिल घनवत (Anil Ghanwat) ने मंगलवार को शीर्ष अदालत को पत्र लिखकर अपनी समिति की रिपोर्ट जारी करने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वह कृषि सुधारों का समर्थन करने वाले एक लाख किसानों को इसके लिए दिल्ली एकजुट करेंगे। घनवत की समिति ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के संबंध में एक रिपोर्ट (report on farm laws) प्रस्तुत की है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को निरस्त करने की घोषणा की थी।

महाराष्ट्र से शेतकारी संगठन के नेता सोमवार को दिल्ली पहुंचे और पैनल के एक अन्य सदस्य कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के साथ बैठक की। घनवत (Anil Ghanwat) ने मीडिया से कहा, मैंने आज फिर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) को पत्र लिखकर अपनी रिपोर्ट जारी करने की मांग की है। अब जब तीनों कानूनों को निरस्त किया जा रहा है, तो यह रिपोर्ट एक शैक्षिक भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि समिति उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी या नहीं इसका फैसला बाद में किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी, जिसमें घनवत और गुलाटी के अलावा तीसरे सदस्य पी. के. जोशी हैं। इस साल जनवरी में तीन कृषि कानूनों (farm laws) पर स्टे लगाते हुए इस समिति का गठन किया गया था। समिति ने व्यापक बहु-हितधारक परामर्श के बाद मार्च में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

हालांकि, उसके बाद से न तो शीर्ष अदालत ने इसकी किसी सिफारिश का इस्तेमाल किया और न ही रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। घनवत ने सितंबर में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश को रिपोर्ट जारी करने के लिए लिखा था ताकि सरकार द्वारा इसकी सिफारिशों का इस्तेमाल किसानों के आंदोलन को हल करने के लिए किया जा सके, क्योंकि आंदोलन के दौरान कुछ जगहों पर हिंसा भी देखने को मिल रही थी। शीर्ष अदालत (supreme court) को सितंबर में पहली बार लिखे जाने के बाद यह घनवत का दूसरा पत्र है। यह बताते हुए कि वह और उनकी टीम कभी भी किसानों के खिलाफ किसानों को खड़ा नहीं करना चाहते थे और इसलिए आज तक कभी सडक़ों पर नहीं उतरे, घनवत ने कहा, हालांकि, अब जब पीएम ने कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है, तो हम जरूरत पड़ने पर सड़कों पर उतरेंगे।

घनवत (Anil Ghanwat) ने कहा, लेकिन हम दिल्ली को परेशान नहीं करना चाहते। हम कम से कम एक लाख चिंतित किसानों को लाएंगे, जो कृषि में सुधार का समर्थन करते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की तीन कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को वैध बनाने की मांग पर टिप्पणी करते हुए घनवत ने कहा, एमएसपी जवाब नहीं है, यह कभी नहीं हो सकता। किसानों को विविधता लाने की जरूरत है। महाराष्ट्र में प्रगतिशील किसानों को देखें - किसान डेयरी, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन और बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी स्वतंत्रता और व्यापार स्वतंत्रता को आयात या निर्यात प्रतिबंध के माध्यम से सरकार द्वारा मूल्य विनियमन की मौजूदा प्रथाओं के खिलाफ किसानों की मदद करनी चाहिए। एक सलाहकार, संजीव सबलोक ने कहा, हमें एक कृषि नीति की आवश्यकता है, हमें इस मुद्दे पर व्यापक परामर्श के साथ एक श्वेत पत्र की आवश्यकता है।