
अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पुर्नविचार याचिका दायर नहीं करने का निर्णय किया है। बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में अधिकांश सदस्यों का मानना था कि अयोध्या टाइटिल सूट पर नौ नवम्बर को सुनाए गए उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुर्नविचार याचिका का कोई औचित्य नहीं है हालांकि मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन के बारे में बोर्ड ने विकल्प खुले रखा है।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की 17 नवम्बर को हुयी बैठक में फैसला लिया गया था कि नौ दिसम्बर से पहले कम से कम चार मुस्लिम पक्षकार अयोध्या मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दाखिल करेंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड की आज की बैठक में शामिल सात सदस्यों में छह पुर्नविचार याचिका दाखिल करने के विरोध में थे जबकि एक का मानना था कि पुर्नविचार याचिका दायर की जाए।
बैठक के बाद फारूकी ने पत्रकारों को बताया कि अधिकतर सदस्य पुर्नविचार याचिका नहीं दाखिल करने के अपने पुराने मत पर अडिग थे हालांकि अन्य सदस्यों के मत से इतर अब्दुर रज्जाक खान का मानना था कि मुस्लिम समुदाय की भावना के मद्देनजर बोर्ड को उच्चतम न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का समर्थन करना चाहिए। इस मामले को लेकर बोर्ड के सदस्यों के बीच गरमागरम बहस हुई। फारूकी के फैसले से इत्तिफाक नहीं रखने वाले एक अन्य सदस्य इमरान माबूद ने बैठक में शामिल नहीं हुए।
मस्जिद के लिए जमीन दिए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बारे में फारूकी ने कहा 'अयोध्या में नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन समेत अन्य मुद्दे बोर्ड के पास विचाराधीन है और इस बारे में अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। पांच एकड़ जमीन के बारे में अपने विचार व्यक्त करने के लिए सदस्यों को और समय दिया गया है।' उन्होने कहा 'यदि सरकार मस्जिद की जमीन के लिए कोई प्रस्ताव देती है तो एक बार फिर बोर्ड की बैठक बुलाई जाएगी।'
इससे पहले आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड समेत अन्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने दावा किया था कि शरीयत के अनुसार दान दी हुई जमीन पर मस्जिद का निर्माण नहीं हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में मौजूद ज्यादातर सदस्य पांच एकड़ जमीन के पक्ष में थे लेकिन उनका मानना था कि अधिग्रहित भूमि पर मस्जिद के साथ अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि नौ नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में उच्चतम न्यायालय का फैसले आने के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने साफ कहा था कि अदालत का फैसला उनके लिए सर्वमान्य है और बोर्ड इस मामले में पुर्नविचार याचिका दाखिल नहीं करेगा।
फारूखी ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि हालांकि उच्चतम न्यायालय के समक्ष पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का फैसला लेने के लिए वह अधिकृत है लेकिन 26 तारीख को होने वाली बोर्ड की बैठक में हर सदस्य इस संबंध में अपनी राय बेबाकी से पेश करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होने कहा था कि अयोध्या मामले में पुर्नविचार याचिका को लेकर बोर्ड में कोई मतभेद नहीं है। उनके विचार से पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं है लेकिन फिर भी बोर्ड किसी भी मामले में सर्वसम्मति से फैसला लेता है और इस नाते हर सदस्य को इस मसले पर अपना पक्ष रखने का अधिकार है जिस पर विचार करने के बाद बोर्ड अंतिम फैसला करेगा।
बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि उन्हे इस बारे में अंतिम फैसला लेने का अधिकार है। इसके बावजूद अगर कोई विवाद होता है तो ज्यादा मतों के आधार पर निर्णय किया जाएगा। इस बात का खास ध्यान रखा जाएगा कि सदस्यों के बीच टकराव के हालात नहीं बने। गौरतलब है कि इससे पहले बोर्ड के आठ में से दो सदस्यों ने श्री फारूखी के पुर्नविचार याचिका नही दाखिल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य अब्दुल रज्जाक ने कहा 'बगैर बोर्ड की बैठक के चेयरमैन एकतरफा फैसला कैसे ले सकते हैं।'
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