कोरोना वायरस की वैक्सीन देने का काम पूरी दुनिया में चल रहा है। भारत की तरफ से कई देशों में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भेजी जा रही है लेकिन दक्षिण अफ्रीका में इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।

दक्षिण अफ्रीका ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर तब तक रोक लगा दी है जब तक कि वैज्ञानिकों की समिति इसे आगे बढ़ाने के लिए उचित सलाह नहीं देती।

दक्षिण अफीका के स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली मिखाइज ने ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के ट्रायल डेटा सामने आने के बाद इसकी घोषणा की। इस ट्रायल डेटा में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन 501Y.V2 पर कम प्रभावी पाया गया है।

आपको बता दें कि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका सरकार ने भारत की सीरम इंस्टीट्यूट से ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की 10 लाख डोज हासिल की थी। ये वैक्सीन शुरुआत में हेल्थकेयर वर्कर्स को दी जानी थी।

दक्षिण अफ्रीका अब कुछ दिनों में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की जगह जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर की वैक्सीन लेने की पेशकश करेगा। जबकि विशेषज्ञ ये समझने की कोशिश करेंगे एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल किस तरह से किया जा सकता है।

द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार मिखाइज ने कहा कि जब भी वायरस के बदलने और म्यूटेट होने की खबर आती है तो इस तरह के निर्णय लेने पड़ते हैं। शायद इसलिए ही एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर फिलहाल रोक लगाई जा रही है। अगले कुछ हफ्तों में दक्षिण अफ्रीका के पास जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर वैक्सीन होगी।
ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का ट्रायल करने वाली जोहान्सबर्ग की विटवाटरसैंड यूनिवर्सिटी ने अपने एक बयान में कहा कि ये वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका के COVID-19 के नए वेरिएंट संक्रमण के हल्के और मध्यम लक्षण में बहुत कम सुरक्षा देती है।

वहीं, एस्ट्राजेनेका का कहना है कि ट्रायल में भाग लेने वाले सभी 2000 प्रतिभागियों में किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं। इसका मतलब ये है कि ये अभी भी गंभीर लक्षण में प्रभावी है। हालांकि, अभी तक एक निश्चित निर्णय लेने के लिए पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है।
इस डेटा की समीक्षा अभी नहीं की गई है। एस्ट्राजेनेका ने कहा कि हल्के-गंभीर या फिर मौत के मामलों को इस स्टडी में मूल्यांकन नहीं किया गया है क्योंकि लोगों में इसका खतरा बहुत कम था।