सूर्य के दक्षिणी हिस्से से चली एक सौर्य आंधी आने वाले दिनों में धरती पर पहुंच सकती है। अमेरिका की नैशनल ओशैनिक ऐंड अटमॉस्फीयर अथॉरिटी (NOAA), के स्पेस वेदर एक्सपर्ट्स ने कहा है कि ये सोलर पार्टिकल 500 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से स्पेस में चल रहे हैं। ये अब तक सूरज से 15 करोड़ किमी दूर निकल चुके हैं। माना जा रहा है कि रविवार या सोमवार तक यह धरती के वायुमंडल से टकरा भी सकते हैं।

NOAA के एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस सौर्य तूफान की वजह से आर्कटिक ऑरोरा पैदा हो सकता है। ऑरोरा वह रोशनी होती है जो धरती के मैग्नेटोस्फीयर में सोलर विंड के टकराने से पैदा होती है। इस तरह से नीले और हरे रंग की रोशनी एक दिलकश नजारा पेश करती है जिसे देखने के लिए लोग इंतजार में रहते हैं। ये उत्तरी गोलार्ध में ऑरोरा बोरियैलिस की शक्ल में आसमान में अद्भुत छटा बिखेरते हैं।

सौर्य तूफानों का असर सैटलाइट पर आधारित टेक्नॉलजी पर भी हो सकता है। सोलर विंड की वजह से धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिससे सैटलाइट्स पर सीधा असर होता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में अवरोध पैदा हो सकती है। पावर लाइंस में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। लेकिन ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है।

आखिरी बार इतना शक्तिशाली तूफान 1859 में आया था जब यूरोप में टेलिग्राफ सिस्टम बंद हो गया था। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सौर्य तूफानों को स्टडी किया जाना और उनसे अपनी टेक्नॉलजी और उपकरणों को बचाना बहुत जरूरी है। ये रेडिएशन ट्रिलियन डॉलर का नुकसान धरती को पहुंचा सकते हैं। इन ध्वस्त इंफ्रास्ट्रक्चर को दोबारा खड़ा करने में कई साल लग जाते हैं।