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कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से बचाव के लिए लगाई जाने वाली कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield) को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. लैंसेट की इस स्टडी (Lancet Study) में कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के खिलाफ कोविशील्ड द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा 3 महीने के बाद घट जाती है. इस वैक्सीन को एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने विकसित किया है जबकि इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) ने किया है. भारत में कोवैक्सीन (Covaxin) के साथ-साथ कोविशील्ड वैक्सीन का उपयोग बड़े पैमाने पर किया गया है.
हालांकि लैंसेट ने अपनी पिछले अध्ययन में यह दावा किया था कि कोविशील्ड डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ काफी प्रभावी है. पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों को यह 63 फीसदी सुरक्षा प्रदान करती है जबकि मध्यम से गंभीर बीमारी के विरुद्ध इसका प्रभाव 81 फीसदी है.
नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक का स्कॉटलैंड और ब्राजील में गंभीर कोविड -19 मामलों में जोखिम के बीच संबंध का विश्लेषण किया. इस स्टडी को लेकर जर्नल में प्रकाशित पेपर में रिसर्चर ने कहा कि, हमने यह पाया कि स्कॉटलैंड और ब्राजील दोनों में अस्पताल में भर्ती और मौतों को लेकर कोविड-19 के खिलाफ ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन की सुरक्षा कम हो गई है, वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के 3 महीने के अंदर यह स्पष्ट हो गया है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली हैं उन्हें बूस्टर डोज के तौर पर तीसरी खुराक लेने के बारे में सोचना चाहिए.
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