
नई दिल्ली । नागरिकता संशोधन विधेयक को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि अभी यह विधेयक राज्य सभा से पारित होना है तब तक यह याचिका उसके पास लंबित रहेगी। बता दें कि विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक गत आठ जनवरी को पारित हो गया। इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जा चुका है लेकिन अभी यह उच्च सदन से पारित नहीं हो सका है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अभी यह विधेयक राज्य सभा में पारित होना है।
विपक्ष का कहना है कि यह विधयेक असम की क्षेत्रीय अस्मिता एवं संस्कृति को धक्का पहुंचाने वाला और अलगाववाद को अढ़ावा देने वाला है। लोकसभा में इस विधयेक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इस विधेयक के बारे में विपक्षी दलों की आशंकाएं आधारहीन हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक पड़ोसी देशों से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को सुरक्षा एवं भारतीय नागरिकता की पेशकश करेगा। हालांकि, सरकार के इस कदम का विपक्ष सहित एनडीए के घटक दलों ने विरोध किया।
Supreme Court keeps the PIL filed against Citizenship Act (Amendment) Bill pending. Chief Justice of India Ranjan Gogoi says, bill yet to be passed in Rajya Sabha. pic.twitter.com/FH55Y764qw
— ANI (@ANI) 14 January 2019
यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय सात साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।नागरिकता संशोधन अधिनियम केवल असम तक सीमित नहीं है। यह अधिनियम पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में आए प्रवासियों को भी राहत पहुंचाएगा।
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