
कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के बीच सायबर ठक बैंक ग्राहकों को निशाना बनाकर उनके खातों से पैसा निकाल रहे हैं। साइबर क्रिमिनल्स फ्रॉड करने के लिए हमेशा नए टारगेट की तलाश में रहते हैं और अब उन्हें शानदार मौका मिल चुका है। ये शातिर जालसाज आमतौर पर किसी संस्थान या सर्विस को हैक करके यूजर्स के साथ धोखाधड़ी करते हैं। ऐसा ही कुछ भारत के सबसे बड़े बैंक यानी कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के ग्राहकों के साथ हो रहा है। इस स्कैम में हैकर्स लोन रीपेमेंट की डेट को आगे बढ़ाने के लिए ग्राहकों से ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) मांगते हैं। ओटीपी मिलने के बाद ग्राहक के खाते से पैसों की चोरी की जा रही है।
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एसबीआई को इस फ्रॉड के बारे में जानकारी हो चुकी है। बैंक ने अपने ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट कर ग्राहकों को इस तरह के साइबर स्कैम से अलर्ट रहने की सलाह दी है। बैंक ने अपने ट्वीट में कहा, 'साइबर फ्रॉडस्टर लोगों के साथ जालसाजी करने के लिए नए तरीके खोजते रहते हैं। इन साइबर क्रिमिनल्स को अलर्ट और जागरूक रहकर ही हराया जा सकता है। नोट कर लें कि ईएमआई डिफरमेंट के लिए किसी को भी ओटीपी बताने की जरूरत नहीं पड़ती। किसी के साथ ही अपना ओटीपी शेयर न करें।'
देश में लॉकडाउन के चलते सभी बैंक अपने ग्राहकों को ईएमआई पेमेंट पर जून 2020 तक की छूट दे रहे हैं। एक तरफ जहां बैंक अपने ग्रहकों की मुश्किलों को कम करने की कोशिश में हैं, वहीं, साइबर क्रिमिनल्स इसे फ्रॉड करने के मौके के तौर पर देख रहे हैं। एसबीआई ग्राहकों को ठगने के लिए जालसाज बैंक कर्मचारी के तौर पर कॉल करते हैं। ये जालसाज ग्राहक से लोन ईएमआई के भुगतान की तारीख को पोस्टपोन करने के लिए ओटीपी मांगते हैं। साइबर फ्रॉड से अनजान बैंक कस्टमर इन जालसाजों को ओटीपी बता देते हैं। ओटीपी मिल जाने के बाद ये साइबर ठग सेकंडों में खाते से पैसों की चोरी कर सकते हैं।
बैंक ने ग्राहकों को लोन डिफरमेंट की पूरी और सही जानकारी देने के लिए एक लिंक भी पोस्ट किया है। इसमें कहा गया है कि SBI ने 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच आने वाली ईएमआई और ब्याज को डिफर करने की शुरुआत कर दी है। इसके हिसाब से टोटल रीपेमेंट पीरियड में ग्राहकों को तीन महीने का ग्रेस मिल जाता है। इस बारे में जानकारी लेने के लिए आप बैंक की वेबसाइट पर दिए गए कस्टमर केयर नंबर पर कॉल भी कर सकते हैं।
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