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काला सागर में रूसी जेट और अमेरिकी ‘जासूस’MQ-9 रीपर ड्रोन के टक्कर के बाद दोनों के देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. इस घटना के बाद अमेरिका ने रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव को समन जारी कर कड़ा विरोध जताया है. इसके साथ-साथ अमेरिकी ने रूस के विदेश मंत्रालय को मैसेज भेजकर घटना पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है.
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अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपने एक बयान में कहा है कि उनका रीपर ड्रोन मंगलवार को काला सागर के ऊपर उड़ रहा था. इस बीच रूस के दो Su-27 जानबूझकर आगे बढ़े और ड्रोन के प्रोपेलर पर बार-बार ईंधन डालना शुरू कर दिया. इसके बाद रूस का एक विमान ड्रोन के प्रोपेलर से टकराया, जिससे अमेरिकी सेना को MQ-9 को अंतरराष्ट्रीय जल में नीचे लाना पड़ा.
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अमेरिकी वायु सेना यूरोप और अफ्रीका के कमांडर जनरल जेम्स हेकर ने कहा कि विमानों के दुर्घनाग्रस्त होने के पीछे रूसी जेट की ओर से की गई कार्रवाई है. वहीं, पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा है कि टक्कर ने रूसी जेट को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था, हालांकि, सुखोई-27 उतरने सक्षम रहा है लेकिन यह नहीं पता कि उसकी लैंडिंग कहां हुई है.
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रूस ने अपने बयान में किसी तरह की टक्कर से इनकार किया है और कहा है कि अमेरिकी ड्रोन स्वत: ही पानी में गिर गया. अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने वॉशिंगटन में पत्रकारों से कहा कि ब्लैक सी पर रूसी इंटरसेप्ट आम बात थी, लेकिन यह घटना ध्यान देने योग्य है, क्योंकि रूसी विमानों की ओर से यह बहुत असुरक्षित और गैरपेशेवर रवैया था, वास्तव में लापरवाही भरा. ब्रसेल्स में नेटो के राजनयिकों ने इस घटना की पुष्टि की, लेकिन कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि यह तुरंत एक और टकराव में बदल जाएगा.
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नाम न छापने की शर्त पर एएफपी से बात करते हुए नेटो सेना के एक स्रोत ने कहा कि रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच राजनयिक चैनल किसी भी टकराव को सीमित करने में मदद कर सकते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका निगरानी और हमले दोनों के लिए MQ-9 रीपर ड्रोन का उपयोग करता है, और रूसी नौसैनिक बलों पर नजर रखते हुए काला सागर पर लंबे समय से इनका संचालन कर रहा है.
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