यूक्रेन और रूस से बीच एक साल से चल रहा युद्ध अब अपने चरम पर है। रूस ने एक बार फिर मैदान में अपनी किलर मिसाइल को तैनात कर दिया है। इस किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल से यूक्रेन के लवीव शहर पर हमला किया गया, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई है। रूस ने दावा किया है कि NATO के पास ऐसी कोई मिसाइल या हथियार नहीं है, जो किंझल को रोक सके।

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कोई रडार नहीं पकड़ सकता

किंझल की ताकत की बात करें तो यह साउंड की स्पीड से 12 गुना ज्यादा तेजी से उड़ती है। ये मिसाइल दुनिया के किसी भी डिफेंस सिस्टम को मात दे सकती है, यानी रडार पर इसे पकड़ना नामुमकिन है। इसे हवा से भी लॉन्च किया जा सकता है। इस महाविनाशक मिसाइल में एक परमाणु बम या फिर 1000 पाउंड के विस्फोटक लगाए जा सकते हैं। ये मिसाइल 2000 किमी की दूरी तक किसी भी लक्ष्य को आसानी से तबाह कर देती है। यह मिसाइल साल 2018 से ही रूसी हथियारों के जखीरे में शामिल है। इससे पहले रूस ने पिछले साल इस मिसाइल का इस्तेमाल दक्षिण-पश्चिम यूक्रेन के एक अंडरग्राउंड वेयरहाउस को उड़ाने में किया था। 

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इन देशों के पास है हाइपरसोनिक मिसाइल

फिलहाल, हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं। भारत ऐसी मिसाइल बना रहा है। रूस के पास ICBM एवनगार्ड है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से 20 गुना ज्यादा रफ्तार, यानी 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ती है। आपको बता दें कि  हाइपरसोनिक मिसाइलों की स्पीड (मैक 5 से मैक 10) साउंड की स्पीड से पांच से 10 गुना अधिक होती है। दुनिया में अभी कोई भी डिफेंस सिस्टम इन्हें नहीं पकड़ सकता है। फिलहाल रूस के पास ही ऑपरेशनल हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं। उसकी किंझल मिसाइल इसी कैटेगरी में आती है। जानकारों के मुताबिक, दुनिया में पहली बार किन्हीं दो देशों के बीच लड़ाई में हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है।