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भारत की रक्षा नीति को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज की तारीफ करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (Rss Chief Mohan Bhagwat) ने कहा है कि 2014 के बाद भारत की सुरक्षा नीति को प्राथमिकता मिलना शुरू हुआ है। संघ प्रमुख ने कहा कि आजादी के बाद देश में ऐसी सरकार आई जिन्हें सेना की जरूरत ही महसूस नहीं होती थी। बल्कि उस समय तो यह विचार भी किया जाने लगा था कि सेना का इस्तेमाल फैक्टरियों में किया जाए।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Rss Chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि पहले देश की सुरक्षा नीति राष्ट्र नीति के पीछे चला करती थी, लेकिन 2014 के बाद माहौल बदला और अब सबसे पहले सुरक्षा नीति आती है राष्ट्र नीति उसके पीछे-पीछे चलती है। जाहिर तौर पर देश की सुरक्षा के मसले पर मोदी सरकार के रवैये को लेकर सीधे संघ प्रमुख की तरफ से आया यह बड़ा बयान है जिसमें मोदी सरकार की रक्षा नीति की सराहना की गई है। आपको बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul gandhi) समेत विपक्ष के कई नेता राष्ट्रीय सुरक्षा खासकर भारत-चाइना बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। ऐसे में राजधानी दिल्ली में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में दिया गया संघ प्रमुख का यह बयान अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
वीर सावरकर (veer savarkar) पर केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय महूरकर और चिरायु पंडित द्वारा लिखी गई पुस्तक का विमोचन करते हुए मोहन भागवत ने आरोप लगाया कि आजादी के बाद संघ और वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम तेजी से चलाई गई। वीर सावरकर को सच्चा राष्ट्रवादी बताते हुए मोहन भागवत ने कहा कि आज उनकी सारी भविष्यवाणियां सच साबित हो रही हैं। सावरकर पर लिखी पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने एक बार फिर से दोहराया कि भारत में रहने वाले सबके पूर्वज एक ही हैं चाहे वो किसी भी पंथ और पूजा पद्धति को मानने वाले हों। भारत में रहने वाले सभी हिन्दू हैं लेकिन यहां हिन्दू धर्म का अर्थ बहुत व्यापक है। सभी पूजा पद्धतियों के लोगों को एक साथ रहने की सलाह देते हुए उन्होंने संसद का भी जिक्र किया। मोहन भागवत ने कहा कि हमारी संसद में क्या होता है, बस मारपीट नहीं होती बाकी सब कुछ होता है लेकिन बाद में सब बाहर आकर हंसी मजाक करते हैं, गले मिलते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि यहां जितने भी धर्म आएं, सबका स्वागत हुआ। इसलिए अलगाव की बात मत करो, विशेष अधिकार की बात मत करो। अल्पसंख्यक शब्द के इस्तेमाल पर ऐतराज जताते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अल्पसंख्यक जैसा कुछ नहीं होता है। पूजा पद्धति और भाषा अलग होने के बावजूद हम एक है, एक ही संस्कृति के विरासतदार है। तुष्टिकरण किसी का नहीं लेकिन कल्याण सभी का मानने वाले हैं। अधिकार सभी का है तो कर्तव्यों में भी सभी की जिम्मेदारी है। हिंदुओं को मजबूत होने का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि राम मनोहर लोहिया भी अखंड भारत की बात करते थे।
कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीर सावरकर को सच्चा राष्ट्रवादी और यथार्थवादी बताते हुए आरोप लगाया कि एक खास विचारधारा के लोगों ने वीर सावरकर को लेकर झूठ फैलाया, भ्रांतियां फैलाई। वो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे, हैं और रहेंगे। राजनाथ सिंह ने कहा कि वीर सावरकर के बारे में यह झूठ फैलाया गया कि उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी जबकि सच यह है कि महात्मा गांधी के कहने पर कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए यह याचिका डाली गई थी ताकि वो बाहर आकर आजादी के आंदोलन में शामिल हो सके। दरअसल , भारतीय राजनीति में सावरकर हमेशा से एक बड़े मुद्दे रहे हैं। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां वीर सावरकर के बहाने भाजपा और संघ परिवार पर निशाना साधते हैं तो वहीं भाजपा और संघ परिवार की तरफ से उन्हें देशभक्त बताया जाता है। सावरकर को लेकर सही जानकारी के अभाव का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि उदय महूरकर और चिरायु पंडित द्वारा लिखी गई यह किताब अब तक की तीसरी किताब है जिसमें सावरकर का सही चित्रण किया गया है और इस तरह के प्रयासों को आगे भी बढ़ाने की जरूरत है।
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