भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फटाफट लोन देने वाले ऐप्स से लोगों को सचेत रहने को कहा है।  ऐसे कई ऐप से कर्ज लेकर परेशान आंध्र प्रदेश के 3 लोग सुसाइड कर चुके हैं।  रिजर्व बैंक ने सवालों के घेरे में आई डिजिटल मनी लेंडिंग ऐप्स को लेकर ग्राहकों को सचेत रहने की चेतावनी दी है। 

केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, 'आम लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है कि वे इस तरह की विवेकहीन गतिविधियों में न फंसें और कंपनी/फर्म की पहले की गतिविधियों के बारे में पुष्टि कर लें, जो मोबाइल ऐप के माध्यम से ऑनलाइन कर्ज देती है। 

इस तरह के ऐप्स के द्वारा कई कंपनियां लुभावनी ब्याज दर पर सेकंडों में लोन देने का वादा करती हैं उसके बाद बकाये की वसूली के लिए जोर-जबरदस्ती करती हैं।  

हाल में गुरुग्राम और हैदराबाद के चार इंस्टेंट लोन ऐप फाइनेंस ऑफिसों में छापा मारा गया।  इनमें से दो ऑफिस गुरुग्राम में हैं और बाकी के दो हैदराबाद में। छानबीन के बाद पता चला कि पूरा गोरखधंधा जकार्ता से चल रहा था।  इसमें एक चीनी नागरिक के भी लिप्त होने का संदेह है।  हैदराबाद के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर अविनाश मोहंती ने बताया कि इन चार ऑफिसों में 30 लोन ऐप चल रहे थे। 

पुलिस ने बताया कि इन चार फर्मों के कॉल सेंटर के कर्मचारी लोगों के अकाउंट में पैसे डालते थे और फिर किसी भी डिफॉल्ट की स्थिति में उन्हें फोन कर-कर के बुरी तरह परेशान कर देते थे। 

रिजर्व बैंक ने कहा है, 'ग्राहकों को कभी भी केवाईसी दस्तावेजों की प्रति बगैर पहचान वाले व्यक्ति, अपुष्ट/अनधिकृत ऐप को नहीं देना चाहिए और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए इस तरह के ऐप और बैंक खाते की सूचना सचेत पोर्टल के माध्यम से संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को देनी चाहिए। 

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सभी डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्मों को उस बैंक या एनबीएफसी का खुलासा ग्राहकों के सामने करना चाहिए, जिनके माध्यम से वे लोन देने का वादे करते हैं।  रिजर्व बैंक की वेबसाइट में पंजीकृत एनबीएफसी का नाम और पता जाना जा सकता है और पोर्टल के माध्यम से इकाइयों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने बुधवार को कहा कि कर्ज की पेशकश करने वाले कुछ ऐप वसूली को लेकर गलत तौर-तरीके अपना रहे हैं।  वे उसी प्रकार के तौर-तरीके अपना रहे हैं, जैसा कि 2007 में आंध्र प्रदेश में छोटे कर्ज देने वाले संस्थानों ने किया था और इससे पूरा उद्योग संकट में घिर गया था।