
नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद भारत में रह रहे शरणार्थियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। बिल का अभी राज्यसभा से पास होना बाकी है। राज्यसभा में पेश किए जाने से पहले इसको लेकर शरणार्थियों की तरफ से अपील आना भी शुरू हो गई है। सालों से भारत में रह रहे अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के हिंदू, जैन, सिख शरणार्थियों ने बिल के विरोध के सवाल अपना दर्द बयां किया है।
अपने देश में नहीं माना जा रहा है भारतीय
शरणार्थी परिवारों का कहना है कि हम दूसरे मुल्क में रह रहे थे तो वहां भी हमें जाने के लिए कहा जाता था और भारत में भी हमें भारतीय नहीं कहा जा रहा। अफगानिस्तान से भारत आए मनोहर सिंह ने कहा, 'हमारे अपने देश में हमें भारतीय नहीं माना जा रहा। यही हमारी सबसे बड़ी त्रासदी है। हम नागरिकता के लिए 20-25 साल से कोशिश कर रहे हैं। मैं सभी पार्टियों से इस बिल को पास करने का अनुरोध करता हूं।'
काबुल से भारत आर्इ अमरजीत कौर ने बयां किया दर्द
काबुल में हुए धमाकों में परिवार के सदस्यों को खो देने वाली अमरजीत कौर ने भी अपनी पीड़ा बयां की आैर सरकार से जल्द से जल्द नागरिकता बिल पास करने की अपील की। अमरजीत ने बताया, 'मेरे 3 बच्चे हैं और हम काबुल में भी बहुत कठिन परिस्थितियों में रहते थे। यहां भी हमारी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। हमसे बार-बार इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा जाता था, काबुल में मेरे ससुर ही कमाकर परिवार चलाते थे। एक बम धमाके में उनकी भी मौत हो गई।'
गैर मुस्लिमों को मिलेगा लाभ
नागरिकता संशोधन बिल 2016 लोकसभा में पास होने के बाज अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। मंगलवार (08 जनवरी) को भारी हंगामे के बीच इसे लोकसभा में पास कर दिया गया। विधेयक से 1955 के कानून को संशोधित किया गया है। इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों (हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी व इसाई) समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का रास्ता तैयार होगा। अभी के कानून के मुताबिक, इन लोगों को 12 साल बाद भारत की नागरिकता मिल सकती है, लेकिन बिल पास हो जाने के बाद यह समयावधि 6 साल हो जाएगी। वैध दस्तावेज न होने पर भी 3 देशों के गैर मुस्लिमों को इसका लाभ मिलेगा।
पूरे देश में प्रभावी रहेगा विधेयक
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह विधेयक केवल असम तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी रहेगा। पश्चिमी सीमा से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में आने वाले पीड़ित प्रवासियों को इससे राहत मिलेगी। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने के प्रावधान वाले विधेयक पर असम के कुछ वर्गों की आशंकाओं और धार्मिक आधार पर नागरिकता दिए जाने के आरोपों को निराधार बताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (08 जनवरी) को लोकसभा में कहा कि असम की जनता की परंपराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
#WATCH Amarjeet Kaur, Kabul refugee, appealing to govt to pass Citizenship (Amendment) Bill: I've 3 children. We were in trouble there, we are in trouble here too. People ask us to convert to Islam. It was our father-in-law who earned for family, he also died in a bomb blast.” pic.twitter.com/tKzR7QuYIa
— ANI (@ANI) 9 January 2019
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