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पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए लागू आरक्षण नीति को राज्य की आबादी के अनुसार मानकर लागू करने की सिफारिश की है। आयोग की चेयरपर्सन तेजिन्दर कौर ने आज यहां बताया कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4) ए अनुसार राज्य में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण नीति को बीते समय में आबादी के अनुपात अनुसार मूल्यांकन करने के बाद आरक्षण की सीमा को बनती सीमा अनुसार बढ़ाया गया था।
उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए 19-10-1949 को 15 फीसदी आरक्षण दिया था जिसे 19-08-1952 को बढ़ाकर 19 फीसदी किया गया और 7-09-1963 को 20 फीसदी कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि आखिरी बार 06-06-1974 को आरक्षण 20 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किया गया था और साथ ही पदोन्नति में आरक्षण क्लास 3 और 4 के लिए 20 फीसदी और क्लास 1 और 2 के लिए 14 फीसदी किया गया था।
श्रीमती कौर ने कहा कि बीते 47 साल से आरक्षण की समीक्षा नहीं की जो अनुसूचित जातियों के साथ अन्याय के बराबर है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में अनुसूचित जातियों से संबंधित लोगों की आबादी 31.94 फीसदी हो गई है इसलिए साल 2011 में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाकर 32 फीसदी करना बनता था। उनके अनुसार 2021 में होने वाली जनगणना में अनुसूचित जातियों की आबादी राज्य में 36 फीसदी होने की संभावना है। आयोग ने इस संबंधी पंजाब विधानसभा की अनुसूचित जातियों की भलाई के लिए गठित समिति को भी पत्र की एक प्रति भेजकर इस संबंधी रिव्यू करने के लिए लिखा गया है।
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