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बैंक अब आपकी शिकायतें दौड़ दौड़कर निपटाएंगे क्योंकि आरबीआई ने नई गाइडलाइन जारी की है। ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों का जल्द से जल्द निपटारा हो इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कई कोशिशें कर चुका है। कुछ हद तक इसमें सफलता भी मिली है लेकिन अब आरबीआई बिल्कुल ही आउट ऑफ द बॉक्स सोच के साथ आया है।
आरबीआई की नई गाइडलाइंस के बाद बैंकों के बीच अपने ग्राहकों की शिकायतें निपटाने की एक होड़ सी लग सकती है। जिन बैंकों के पास ग्राहक की शिकायतें ज्यादा होंगी उनसे शिकायतों का निपटारा करने में जो भी खर्च आएगा वो बैंकों से वसूला जाएगा। हालांकि ग्राहक पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। ग्राहकों से शिकायत की सुनवाई पर पहले की ही तरह कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा।
आरबीआई की नई गाइडलाइंस के मुताबिक बैंकों से खर्च की वसूली समान साइज के बैंकों की तुलना में ज्यादा शिकायतें होने पर लागू होंगी। इसका आधार बैंकिंग ओम्बुड्समैन होगा। केवल उन्हीं मामलों में खर्च वसूला जाएगा जो सुनवाई के लायक होंगी। बैंकों को ये भी ब्यौरा देना होगा कि टॉप 5 शिकायतें कि सर्विस से जुड़ी हैं। गाइडलाइंस 27 जनवरी 2021 से ही लागू हो चुकी हैं। इन गाइडलाइंस के दायरे में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक नहीं हैं।
अगर शिकायतें बढ़ती हैं तो निपटारे की समीक्षा की जाएगी साथ ही ये भी देखा जाएगा कि शिकायतों के निपटारे को लेकर मैनेजमेंट कितना गंभीर है। बैंक के कस्टमर सर्विस कमेटी के कामकाज की भी समीक्षा की जाएगी। इन सभी समीक्षाओं के बाद रिजर्व बैंक संबंधित बैंक को एक एक्शन प्लान बनाकर भी देगा। जिसे बैंक को तय समयसीमा के अंदर लागू करना होगा। अगर बैंक ऐसा करने में नाकाम रहा तो उसके ऊपर रेगुलेटरी एक्शन भी होगा। बैंकों को अपनी सालाना रिपोर्ट में शिकायतों को लेकर डिस्क्लोजर भी देना होगा।
बैंक की शिकायतें ज्यादा हैं इसे तय करने के लिए आरबीआई ने अपनी गाइडलाइंस में तीन पैमाने तय किए हैं।
पैमाना 1- प्रति ब्रांच शिकायत औसत शिकायत से अधिक होना
पैमाना 2- प्रति हजार खातों पर आई हुई शिकायतों की संख्या
पैमाना 3- औसत 1000 डिजिटल ट्रांजैक्शन पर कितने कंप्लेंट
1- अगर किसी किसी एक पैमाने पर बैंक की शिकायतें अधिक हैं तो 30 परसेंट खर्च की वसूली होगी।
2- अगर किसी दो पैमाने पर बैंक की शिकायतें अधिक हैं तो 60 परसेंट खर्च की वसूली की जाएगी।
3- तीनों पर औसत से अधिक शिकायतें हैं तो पूरे खर्च की रिकवरी बैंक से की जाएगी।
4- प्रति शिकायत वसूली साल के औसत खर्च से तय होगी।
शिकायतों पर बैंक देंगे ज्यादा डिस्क्लोजर
बैंकों को शिकायतों को लेकर अपनी सालाना रिपोर्ट में डिस्क्लोजर देना होगा, इस डिस्क्लोजर के दो हिस्से होंगे, पहले हिस्से में बैंक के पास आईं शिकायतें होंगी दूसरे हिस्से में लोकपाल यानी ओम्बुड्समैन के पास शिकायतें होंगी।
खुद के पास आई शिकायतों पर
1- बैंकों को अपनी सालाना रिपोर्ट में बताना होगा कि साल के शुरू में अनसुलझी कितनी शिकायतें बची रहीं
2- साल के शुरू में कुल कितनी नई शिकायतें आईं
3- कितनी शिकायतों का निपटारा बैंक की ओर से किया गया
4- बैंक ने कितने ग्राहकों की शिकायतों को रिजेक्ट किया
5- साल के अंत में बैंक के पास कितनी शिकायतें बीच हुईं हैं
ओम्बुड्समैन से आई शिकायतों पर
1- ओम्बुड्समैन से आई कितनी शिकायतें सुनवाई लायक रहीं
2- कितनी शिकायतों पर बैंक के पक्ष में ओम्बुड्समैन का फैसला आया
3- साल में कितनी शिकायतें सुलह समझौते से निपटाई गईं
4- शिकायतें जिनमें ओम्बुड्समैन का फैसला बैंक के खिलाफ रहा
5- ऐसे मामले जिसमें ओम्बुड्समैन के आदेश का पालन नहीं हुआ
किन-किन मामलों के शिकायतों पर लागू
- डेबिट कार्ड
- क्रेडिट कार्ड
- इंटरनेट, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग
- खाते खोलनेध्बंद करने में दिक्कत
- मिस सेलिंगध्पैरा बैंकिंग
- रिकवरी एजेंटध्डायरेक्ट सेल्स एजेंट
- सीनियर सिटीजन आदि के पेंशन
- लोन और एडवांस
- बिना नोटिस चार्जध्अधिक चार्जध्फोरक्लोज़र चार्ज
- चेक, ड्राफ्ट, बिल
- फेयर प्रैक्टिस कोड का पालन न करना
- सिक्के बदलने, छोटे नोट सिक्के न लेने की शिकायत
- बैंक गारंटी, लेटर ऑफ क्रेडिट
- स्टाफ का व्यवहार
- ब्रांच में सेवाएंध्कामकाज के घंटे आदि
- अन्य कोई भी शिकायत
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