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उत्तराखंड में यौन शोषण के आरोपी भारतीय जनता पार्टी के विधायक महेश नेगी (BJP MLA Mahesh Negi) को चुनावों (Uttarakhand elections) से ऐन पहले बड़ी राहत मिली है। यौन शोषण (Rape case) के मामले में पुलिस को उनके खिलाफ कोई तथ्य नहीं मिले हैं। दूसरी ओर यौन शोषण की सीबीआई जांच (CBI) संबंधी पीड़िता की ओर से दायर अन्य याचिका में अदालत ने प्रतिवादी महेश नेगी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। दोनों मामलों की सुनवाई न्यायाधीश आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई।
गौरतलब है कि भाजपा के द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी पर उनकी पड़ोसी प्रीति बिष्ट की ओर से यौन शोषण (Rape case onMahesh Negi) के आरोप लगाये गये हैं। पीड़िता की ओर से देहरादून में विधायक के खिलाफ मामला दर्ज कर कहा गया कि विधायक महेश नेगी ने कई बार उनके साथ संबंध स्थापित किये हैं और वे ही उसकी पुत्री के जैविक पिता (biological father) हैं। जांच अधिकारी के प्रार्थना पत्र पर देहरादून की सीजेएम अदालत ने महेश नेगी के डीएनए जांच के आदेश दे दिये थे। सीजेएम के आदेश को विधायक नेगी की ओर से उच्च न्यायालय (high Court) में चुनौती दी गयी और उच्च न्यायालय ने सीजेएम के आदेश पर रोक जारी कर दी।
इसके बाद इस प्रकरण की जांच कर रहे जांच अधिकारी की ओर से आज उच्च न्यायालय में प्रकरण की अंतिम रिपोर्ट पेश की गयी और कहा गया कि विधायक के खिलाफ यौन शोषण (Rape case) के तथ्य नहीं मिले हैं। रिपोर्ट में विधायक को धारा 376 व 506 से मुक्त कर दिया गया। इसके साथ ही अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया। दूसरी ओर पीड़िता प्रीति बिष्ट की ओर से इस प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर अन्य याचिका में अदालत ने प्रतिवादी महेश नेगी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में अब 13 जनवरी को सुनवाई होगी। पीड़ित महिला की ओर से साल 2020 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गयी है। फिलहाल जांच रिपोर्ट से महेश नेगी को बड़ी राहत मिली है। खासकर विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा को भी संजीवनी मिली है। भाजपा इस मामले को हवा देने वाले अपने प्रतिद्वंद्वियों को अब करारा जवाब दे सकेगी।
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