
मोदी कैबिनेट के दो मंत्री शपथ लेने के बाद बड़ी तेजी से सुर्खियों में आ गए। पहले है प्रताप सारंगी और दूसरे रामेश्वर तेली। दोनों ही मंत्री अपनी सादगी और अपने बैकग्राउंड के चलते सुर्खियों में रहे हैं।
असम के दुलियाजान क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके रामेश्वर तेली साल 2014 में डिब्रूगढ़ सीट से बीजेपी की टिकट पर पहली बार सांसद बने थे, लेकिन बीते पांच सालों में उन्होंने कोई खास पहचान नहीं बनाई। बावजूद इसके तेली को नरेंद्र मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में राज्यमंत्री की जगह दी गई है। अपने पाॅलिटिकल करियर में तेली ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी कभी नहीं निभाई है। उन्होंने आल असम टी ट्राइब स्टूडेंट यूनियन से अपने कॅरियर की शुरुआत की। ये वो वक्त था जब तेली ने अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार की और चाय समुदाय के बीच अच्छी पकड़ बना ली।
कौन हैं तेली
असम के एक चाय समुदाय से ताल्लुक रखते वाले तेली कभी बाकी मजदूरों की तरह ठेला खींचने का काम करते थे। पढ़ाई की बात की जाए तो तेली महज दसवीं पास हैं। तेली जिस विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र से आते है उन सीटों पर चाय जनजाति के मतदाता हैं वो किसी भी पार्टी को जिताने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
रामेश्वर तेली ने नई जिम्मेदारी को लेकर कहा कि वैसे तो मैं विभाग में नया हूं, लेकिन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरप्रीत कौर बादल से विभागीय अनुभव ले रहा हूं। अधिकारियों से भी चीजें समझने की कोशिश कर रहा हूं। राज्य मंत्री के तौर पर मुझे पूरे देश के हर तबके के लिए बराबर सोचना होगा।
चाय जनजाति स्टूडेंट्स यूनियन में एक छात्र नेता के तौर पर लंबे समय तक काम करने के बाद 1999 में तेली भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। असम की राजनीति में ये वो दौर था जब क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद के शासन के बाद कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उस समय प्रदेश में बीजेपी काफी कमजोर पार्टी मानी जाती थी।
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