रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की वर्चुअल बैठक में चीन का नाम लिए बिना कहा कि सभी सदस्य देशों को संयम बरतना चाहिए और कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे स्थिति जटिल बन जाये। चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में पिछले छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच सिंह ने वर्चुअल संवाद के दौरान चीनी रक्षा मंत्री की मौजूदगी में यह बात कही। 

सिंह ने वियतनाम के हनोई में आयोजित आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की 14 वीं बैठक में कहा, परस्पर विश्वास तथा भरोसा बढाते हुए जब हम अपनी गतिविधियों में संयम बरतते हैं और इस तरह की कार्रवाई से बचते हैं, जिससे स्थिति जटिल बन सकती है तो हमें क्षेत्र में लंबे समय तक शांति बनाये रखने में सफलता मिलेगी। इस बैठक में दस आसियान देशों के साथ-साथ आठ सहयोगी देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एडीडीएम प्लस मंच की यह दसवीं बैठक थी। इस मौके पर एक विशेष आयोजन भी किया गया, जिसमें वियतनाम के प्रधानमंत्री नयूयेन जुआन और रक्षा मंत्री ने हिस्सा लिया। 

सिंह ने इस विशेष सत्र को भी संबोधित किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद क्षेत्र और दुनिया के लिए एक बड़ा अभिशाप है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को समर्थन देने तथा उसे आश्रय देने वाला तंत्र भारत के पड़ोस सहित अन्य जगहों पर अभी भी मौजूद है। उन्होंने आतंकवाद से जोरदार तरीके से मिलकर लड़ने की मजबूत प्रतिबद्धता का आह्वान करते हुए अंतर्राष्ट्रीय तंत्र को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। सिंह ने एशिया में बहुलवादी और सहयोग आधारित सुरक्षा व्यवस्था की दिशा में संवाद तथा संपर्क को बढावा देने में आसियान के मंच की भूमिका की सराहना की। पिछले दशक के दौरान सामरिक संवाद तथा व्यवाहरिक सुरक्षा संपर्क के जरिये बहुपक्षीय सहयोग बढाने में एडीडीएम प्लस की भूमिका का उन्होंने विस्तार से उल्लेख किया। रक्षा मंत्री ने समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा राहत, आतंकवाद रोधी तथा शांति सेना अभियानों सहित अन्य क्षेत्रों में सात विशेषज्ञ समूहों की उपलब्धियों के लिए भी बधाई दी। एडीडीएम प्लस की बैठक में उन्होंने क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भारत का दृष्टिकोण भी रखा। उन्होंने जोर देकर कहा कि विशेष रूप से हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अनेक पारंपरिक तथा गैर पारंपरिक खतरों की चुनौती है। पिछले वर्ष पूर्व एशिया सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गयी हिन्द प्रशांत सागर पहल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक खुला वैश्विक प्रयास है जो मौजूदा क्षेत्रीय सहयोग तंत्र के अनुरूप है। 

उन्होंने कहा कि भारत की इस दिशा में की गयी पहल तथा आसियान के हिन्द प्रशांत के बारे में रूख में समानता है क्योंकि दोनों में सहयोग बढाने के अवसरों पर ध्यान दिया गया है। सिंह ने अमेरिका, रूस, चीन, जापान , दक्षिण कोरिया , आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के रक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में जोर देकर कहा कि भारत हिन्द प्रशांत क्षेत्र में ऐसी खुली और समावेशी व्यवस्था का पक्षधर है जो राष्ट्रों की संप्रभुता के लिए सम्मान और प्रादेशिक अखंडता पर आधारित हो , जिसमें बातचीत के जरिये शांतिपूर्ण ढंग सेे विवादों का समाधान किया जाये और अंतर्राष्ट्रीय नियमों तथा कानूनों का पालन किया जाये। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की संधि के अनुरूप अंतराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्रों में नौवहन की स्वतंत्रता तथा उडानों के संचालन के प्रति भारत के समर्थन को भी दोहराया।