सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) (BRO) ने चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) से लगती सीमाओं पर सैनिकों की तेज आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। बीआरओ ने चार राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 24 पुलों और तीन सड़कों (27 BRO projects) का निर्माण किया है, जिसमें लद्दाख में 19,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर किया गया निर्माण कार्य भी शामिल है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने दिल्ली से इन 24 पुलों और तीन सड़कों का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन किया।

24 पुलों में से नौ जम्मू-कश्मीर में, पांच-पांच लद्दाख (Ladakh) और हिमाचल प्रदेश में, तीन उत्तराखंड (Uttarakhand) में और एक-एक सिक्किम (Sikkim) और अरुणाचल प्रदेश में हैं। तीन सड़कों में से दो लद्दाख में और एक पश्चिम बंगाल में है।सिंह द्वारा ऑनलाइन उद्घाटन की गई परियोजनाओं में देश के उत्तरी क्षेत्र से लगती सीमाओं से लेकर पूर्वी छोर पर लगने वाली सीमा भी शामिल है। मुख्य आकर्षण भारत के पहले स्वदेशी क्लास 70 - 140 फीट डबल-लेन मॉड्यूलर ब्रिज का उद्घाटन है - जो फ्लैग हिल डोकला, सिक्किम में 11,000 फीट की ऊंचाई पर और उमलिंग ला पास में चिसुमले-डेमचोक रोड पर लद्दाख में 19,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाया गया है। लद्दाख दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड (गाड़ियों की आवाजाही योग्य सड़क) का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी रखता है।

33 किलोमीटर की फ्लैग हिल-डोकला सड़क भारतीय सैनिकों के लिए डोकलाम पठार (doklam) के पास डोकला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए यात्रा के समय को कम कर देगी, जहां 2017 में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों का गतिरोध हुआ था। यह भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन (Indo-Tibet-Bhutan Tri-Junction) के पास सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग है जहां चीन आक्रामक रूप से सैन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है। इससे पहले, 2018 में भीम बेस से डोकला के लिए सिर्फ एक मार्ग पूरा हुआ था। चिसुमले को डेमचोक से जोड़ने वाली 52 किमी लंबी सड़क 19,300 फीट की ऊंचाई पर उमलिंग ला (पास) के माध्यम से लेह से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेमचोक के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है। इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री ने उद्घाटन को सीमावर्ती क्षेत्रों की प्रगति के लिए बीआरओ की प्रतिबद्धता का ‘प्रतिबिंब’ करार दिया और विश्वास व्यक्त किया कि ये निर्माण कार्य एक नए भारत के विकास में एक लंबा सफर तय करेंगे।

उन्होंने कहा कि उमलिंग-ला दर्रे (Umling-La Pass) की सड़क से सशस्त्र बलों की आवाजाही तेज होगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा, सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें सामरिक जरूरतों को पूरा करती हैं और देश के विकास में दूरदराज के क्षेत्रों की समान भागीदारी सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने शून्य से नीचे के तापमान और ऊंचाई की चुनौतियों के बावजूद इस उपलब्धि को हासिल करने में अपनी दृढ़ता के लिए बीआरओ (BRO) की सराहना की। सिंह ने स्वदेशी डबल-लेन मॉड्यूलर ब्रिज को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक चमकदार उदाहरण बताया और इस तथ्य की सराहना की कि इसे बहुत कम लागत पर विकसित किया गया है और जरूरत पड़ने पर इसे तोड़ा जा सकता है।