भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin)  ने खुलासा किया है कि वह एक समय क्रिकेट को छोड़ने (r ashwin retirement) का मन भी बना चुके थे। अश्विन को जैसे ही न्यूजीलैंड सीरीज (New Zealand Series) और दक्षिण अफ्रीका दौरे के बीच थोड़ा समय मिला, तो एक वेबसाइट से बातचीत के दौरान भारत के प्रमुख ऑफ स्पिनर ने कुछ हैरान करने वाली बात भी बताई, जिसमें उन्होंने कहा कि 2018 और 2020 के बीच कई बार मेरे मन में ख्याल आया है कि अब मुझे इस खेल को त्याग देना चाहिए। मुझे लगता था कि मैं अपनी तरफ से कोशिश तो भरपूर कर रहा हूं लेकिन इसका फल मुझे नहीं मिल रहा। विशेष रूप से एथलेटिक प्यूबल्जिया और पेटेलर टेंडोनाइटिस के साथ मैं छह गेंदें फेंकता था और फिर मैं हांफने लगता था।

उन्होंने (Ravichandran Ashwin)  आगे कहा कि इसके बाद मेरा पूरा शरीर मानो दर्द से टूटने लगता था, जब घुटने का दर्द तेज होता, तो अगली गेंद पर मेरा जंप भी कम हो जाता था। जब मैं कम कूदता था, तो कंधों और पीठ के जरिए मुझे ज्यादा जोर लगाना होता था। और फिर ऐसा करने से मैं और भी तकलीफ में खुद को डाल देता था। यही वह समय था जब लगता था कि अब मुझे इस खेल से ब्रेक ले लेना चाहिए। अश्विन आगे कहते हैं, आप मुझे कुछ भी कह सकते हैं, आप मुझे टीम से बाहर निकाल सकते हैं, सब ठीक है, लेकिन मेरे इरादे या मेरे प्रयास पर संदेह करना कुछ ऐसा है जिसने मुझे सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है। 

ऑफ स्पिनर (Ravichandran Ashwin)  ने कहा, 2018 में इंग्लैंड श्रृंखला के ठीक बाद और फिर उसी साल ऑस्ट्रेलिया में सिडनी टेस्ट से पहले और एडिलेड टेस्ट (Adelaide Test) के बाद मेरे जेहन में संन्यास की बात आई। मैं जिस एकमात्र व्यक्ति से बात कर रहा था वह मेरी पत्नी (Ravichandran Ashwin Wife) थी। लेकिन मेरे पिता (Ravichandran Ashwin father) को मुझपर काफी भरोसा था, वह यही कहते थे तुम सीमित ओवर क्रिकेट में फिर वापसी करोगे। उनकी इन बातों ने मुझे प्रेरित किया और मैंने अपना इरादा बदल दिया। अश्विन के पिता की बात और भरोसा बिल्कुल सही निकला और इस जाबांज खिलाड़ी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी टेस्ट के दौरान हनुमा विहारी के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक पारी खेलते हुए भारत की हार को टाला। 

इतना ही नहीं टी20 विश्वकप (T20 WC) में भी अश्विन का चयन हुआ, जहां उन्होंने एक बार फिर अपनी गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया। हाल ही में अश्विन हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) को पीछे छोड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट में तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय बन गए हैं और जल्द ही वह कपिल देव (Kapil dev) से भी आगे निकल जाएंगे। हालांकि मैदान के बाहर की बातों या बन रहे रिकॉर्ड अश्विन पर कोई असर नहीं डालते, उनका ध्यान हमेशा ही क्रिकेट खेलने पर रहता है। उन्होंने कहा, सच कहूं तो अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अपने करियर के उस पड़ाव पर हूं जहां मेरे पास बाहरी शोर-शराबे के लिए वक्त नहीं है। मैं सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहता हूं। एक बात जो मुझे समझनी थी वह थी : मेरा मन हार क्यों मानना चाहता था? मैं क्यों क्रिकेट छोड़ना चाहता था? मैं खेल का आनंद नहीं ले रहा था। क्यों? क्योंकि इसके पीछे की वजह मैदान के अंदर नहीं मैदान के बाहर थी, अगर मैंने अपना ध्यान अंदर की ओर लगाया होता, तो मैं खेल का आनंद ले सकता था। मुझे बस यह स्वीकार करना था, चाहे कुछ भी हो, अगर मैं टीम में हूं, अगर मैं टीम में नहीं हूं, अगर मैं प्रदर्शन करता हूं, अगर मैं प्रदर्शन नहीं करता हूं, तो यह मेरी शर्तों पर होगा। अश्विन अब ऐसा ही कर रहे हैं और साथ ही साथ उनकी खासियत ये भी है कि वह हर बल्लेबाज के लिए एक अलग योजना बनाते हैं और बल्लेबाजों के खेलने की शैली के हिसाब से अपनी गेंदबाजी में भी परिवर्तन करते रहते हैं।