राज्यसभा में देश के युवाओं के बारे में और उनके अवसरों के बारे मे बात करते हुए मोदी ने देश के भविष्य की बात करते हुए कहा कि आज दुनिया की निगाह हम पर है और आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे। जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा-

अवसर तेरे लिए खड़ा है,
फिर भी तू चुपचाप पड़ा है.
तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है,
पल-पल है अनमोल,
अरे भारत उठ, आंखें खोल....

यह कविता खत्म होने के बाद मोदी ने एक और कविता कही कि मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते-

अवसर तेरे लिए खड़ा है,
तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है,
हर बाधा, हर बंदिश को तोड़,
अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़....