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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने कहा है कि जनरल बिपिन रावत (general bipin rawat) एक असाधारण सेनानायक थे और उनकी मृत्यु से ऐसा शून्य पैदा हो गया है, जिसे भरा नहीं जा सकता। राष्ट्रपति ने शनिवार को देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy) की पासिंग आउट परेड की समीक्षा के अवसर पर यह बात कही।
कोविंद ने कहा कि जनरल रावत (general bipin rawat) ने भी भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लिया था और उन्हें असाधारण कौशल के लिए स्वॉर्ड ऑफ ऑनर (sword of honor) से सम्मानित किया गया था। यदि यह दारुण त्रासदी न हुई होती तो वे खुशी और गर्व के साथ पासिंग आउट परेड को देखते हुए आज यहां हमारे बीच होते। राष्ट्रपति (Ram Nath Kovind) ने कहा कि जनरल रावत ने इस अकादमी का गौरव बढ़ाया है। उनसे पहले फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (Field Marshal Sam Manekshaw) और कई अन्य असाधारण योद्धाओं और रणनीतिकारों ने यहां युवा कैडेटों और संभावित नायकों के रूप में अपनी सेवा यात्रा शुरू की। उनमें से कुछ ने हमारे देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जेंटलमैन कैडेट आने वाले समय में इस अकादमी की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाएंगे। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने पर कैडेटों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति (President Ram Nath Kovind) ने कहा कि सैनिकों और सैन्य बलों के नायकों के रूप में उनकी सेवा और समर्पण शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत की शक्ति को और बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें अकादमी के कई पूर्व उत्कृष्ट छात्रों में से एक जनरल बिपिन रावत द्वारा अर्जित प्रतिष्ठित स्थान को याद करना चाहिए जो अपनी कड़ी मेहनत से भविष्य की पीढ़ियों के लिए सैनिक आचरण के आदर्श के रूप में उभरे थे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमेशा बुलंद रहेगा क्योंकि यहां उपस्थित जेंटलमैन कैडेट जैसे वीर एवं पराक्रमी पुरुष इसके सम्मान को अक्षुण्ण रखते हुए इसकी रक्षा करेंगे।
राष्ट्रपति (President Ram Nath Kovind) ने कहा कि आज देश जिस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है, वे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक जटिल सुरक्षा वातावरण द्वारा से बनी हैं। इसलिए कैडेटों को यह ध्यान रखना चाहिए कि केवल शारीरिक और मानसिक दृढ़ता ही उन्हें देश के लिए आधुनिक समय के खतरों से निपटने के लिए तैयार नहीं करेगी बल्कि सैन्य नायकों के रूप में, उन्हें अपने आप में एक रणनीतिक मानसिकता विकसित करने के साथ ही एक परिवेश के अनूरूप स्वभाव विकसित करना होगा और सैन्य नेतृत्व के लिए आवश्यक कौशल को सुधारने के लिए आवश्यक मानसिक लचीलापन भी हासिल करना होगा। उन्हें उन अप्रत्याशित चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए जो अस्त्र-शस्त्रों की यह कार्य-प्रणाली उनकी सेवा के विभिन्न अवसरों पर उनके सामने लाती रहेगी।
पासिंग आउट परेड (passing out parade) में अफगानिस्तान, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, तंजानिया, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम के मित्र देशों के जेंटलमैन कैडेटों को देखकर राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हम अपने मित्र राष्ट्रों के साथ संबंधों को संजो कर रखते हैं, और यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है कि मित्र देशों के ऐसे अच्छे अधिकारी और जेंटलमेन आज यहां से स्नातक हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये सभी भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में मिले प्रशिक्षण के दौरान अपने सहयोगियों और प्रशिक्षकों के साथ बने मित्रता के अनूठे बंधन को भविष्य में भी बनाए रखेंगे।
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