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पराक्रम दिवस पर पीएम मोदी ने बड़ी बात कही है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अखंड भारत की पहली आजाद सरकार बनाई थी। सबसे पहले उन्होंने कोलकाता में नेताजी भवन का दौरा किया। इसके बाद विक्टोरिया मेमोरियल पहुंचे। उनके यहां पहुंचते ही मोदी-मोदी और जय श्रीराम के नारे लगने लगे।
बंगाल राज्यपाल जगदीप धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी भी कार्यक्रम में मौजूद थीं। विक्टोरिया मेमोरियल में कार्यक्रम की शुरुआत नेताजी की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति से हुई। इस दौरान मशहूर गायिका ऊषा उत्थुप सौम्यजीत और बॉलीवुड गायक पापोन ने शानदार प्रस्तुति दी थी।
सबसे पहले सीएम ममता बनर्जी को मंच से संबोधन करना था। लेकिन मेमोरियल में लगे मोदी.मोदी और जयश्रीराम के नारों से वे काफी नाराज हो गईं। उन्होंने तीखे शब्दों से कार्यक्रम की अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि ये किसी पार्टी का प्रोग्राम नहीं है। ये सरकारी कार्यक्रम है। इसकी गरिमा होनी चाहिए। मैं आभारी हूं केंद्र सरकार की कि उन्होंने बंगाल में इस कार्यक्रम को रखा। लेकिन किसी को बुलाकर बेइज्जत करना शोभा नहीं देता। मैं कुछ और नहीं कहना चाहती।
इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी का संबोधन शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि कोलकाता में आना मेरे लिए भावुक करने वाला है। सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते ही मुझे हमेशा नई ऊर्जा मिलती है। नेताजी की दूर की दृषि थी जहां तक देखने के लिए अनेकों जन्म लेने पड़ जाएं। मैं नमन करता हूं मां प्रभा देवी जी को जिसने नेताजी को जन्म दिया। 125 वर्ष पहले आज ही के दिन उस वीर सपूत ने जन्म लिया था जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी। आज ही के दिन भारत के नए आत्मगौरव का जन्म हुआ था। नेताजी ने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता से कहा था कि मैं आजादी मांगूंगा नहीं बल्कि छीन लूंगा। मैं उन्हें कोटि.कोटि नमन करता हूं। मैं नेताजी को सैल्यूट करता हूं। मैं आज बालक सुभाष से नेताजी बनाने वाली बंगाल की इस भूमि को भी आदर पूर्वक नमन करता हूं।
गौरतलब है कि भारत में स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा कलकत्ता के प्रेसिडेंसी और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से प्राप्त की थी। 1920 में इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा में चौथा स्थान भी हासिल किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस 18 अगस्त 1945 को लापता हो गए थे। इस वजह से आज तक ये गुत्थी नहीं सुलझ पाई कि वो कहां गए। क्या विमान दुर्घटना में ही उनकी मौत हो गई या फिर बाद में फैजाबाद के गुमनामी बाबा के तौर पर नेता जी सामने आए।
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