इसरो 28 फरवरी को पीएसएलवी-सी51 रॉकेट से ब्राजील के सैटेलाइट Amazonia-1 और और तीन भारतीय सैटेलाइट/पेलोड लॉन्च करने जा रहा है। ये तीनों भारतीय सैटेलाइट भारत के ही स्टार्टअप्स द्वारा विकसित किए गए हैं। इनके नाम आनंद, सतीश धवन सैटेलाइट और यूनिटीसैट। सतीश धवन सैटेलाइट को स्पेस किड्स इंडिया नाम के स्टार्टअप ने बनाया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो और नाम भी शामिल हैं।

स्पेस किड्स इंडिया की सीईओ डॉ. केसन ने कहा है कि हमारे जैसे स्टार्टअप्स को मौका दिया जा रहा हैं। इसलिए हमने कई लोगों के नाम मंगवाए थे। हमारे पास करीब 25 हजार नाम आए हैं जो इस सैटेलाइट के जरिए अंतरिक्ष में जाएंगे। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम और फोटो सैटेलाइट के ऊपरी पैनल पर है। यह पहला मौका है जब किसी भारतीय निजी कंपनी के सैटेलाइट में लोगों का नाम जा रहा है।

डॉ. केसन ने बताया कि सतीश धवन सैटेलाइट अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन की स्टडी करेगा. चुंबकीय बहाव का अध्ययन करेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को अंतरिक्ष में मुकाम देगा। पीएम मोदी को आत्मनिर्भर भारत मिशन की वजह से हमारे जैसी कंपनियों को स्पेस इंडिस्ट्री में ISRO के साथ काम करने का मौका मिला। इसलिए हमने उन्हें 'थैंक्स' कहने और उनके सम्मान के लिए उनकी तस्वीर और नाम सैटेलाइट में लगाकर अंतरिक्ष में भेज रहे हैं। एसडी सैट एक नैनो सैटेलाइट है जिसको 28 फरवरी को PSLV-C51 से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इसमें एक चिप भी है जो पूरी गीता को टेक्स्ट फॉर्म में लेकर इस सैटेलाइट के साथ जा रही है।

सतीश धवन सैटेलाइट जैसे नैनो सैटेलाइट्स धरती की लोअर अर्थ ऑर्बिट में चक्कर लगाते हुए या एक स्थान पर रुककर मौसम, संचार, चुंबकीय बहाव, रेडिएशन आदि का अध्ययन करते हैं। अमेरिकी स्पेस कंपनी स्पेसएक्स भी लगातार ऐसे नैनो सैटेलाइट्स को लॉन्च कर रही है।

स्पेस किड्स इंडिया ने अंतरिक्ष में अपना नाम भेजने की एक डिजिटल ड्राइव चलाई थी। जिसमें फॉर्म भरने के बाद लोगों के पास इस मिशन का एक बोर्डिंग पास आता है। इसमें नाम तो फॉर्म भरने वाला का रहता है लेकिन फोटो और डिटेल्स मिशन का रहता है। जैसे पीएम नरेंद्र मोदी के बोर्डिंग पास पर उनका नाम लिखा है, लेकिन फोटो सतीश धवन की लगी है। पीएम मोदी का फॉर्म कंपनी ने अपनी तरफ से भरा है।

इसरो श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी51 रॉकेट से सुबह 10:30 बजे के आसपास इन सैटेलाइट्स को लॉन्च करेगा। Amazonia-1 पहला अर्थ ऑबर्जवेशन सैटेलाइट है जो पूरी तरह से ब्राजील ने विकसित किया है। यही सैटेलाइट इस मिशन का प्राइमरी पेलोड होगा।

आनंद सैटेलाइट को बेंगलुरू स्थित Pixxel नाम के स्टार्ट अप ने बनाया है। वहीं यूनिटी सैट को तीन सैटेलाइट्स को मिलाकर बनाया गया है। ये हैं श्रीपेरुमपुदूर स्थित जेप्पियार इंस्टीट्यट ऑफ टेक्नोलॉजी की सैटेलाइट , नागपुर स्थित जीएस रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और कोयंबटूर स्थित श्री शक्ति इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी।

ISRO का ये मिशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये PSLV-C51 के साथ पहले कॉमर्शियल निजी रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट आनंद को लॉन्च कर रहा है। पिक्सेल कंपनी का कहना है कि वह 2023 तक ऐसे 30 सैटेलाइट्स भारतीय अंतरिक्ष में तैनात करने की योजना बना चुकी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने 50 साल के इतिहास में पहली बार अपने सैटेलाइट सेंटर को निजी कंपनियों के लिए खोला है। ऐसा पहली बार होगा जब प्राइवेट कंपनी या एकेडेमिया के लोग बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में अपने सैटेलाइट की जांच करेंगे। इसरो ने फिलहाल सिर्फ दो सैटेलाइट के लिए अनुमति दी है। इनमें से एक निजी कंपनी का है, दूसरा स्टूडेंट्स का।

ठीक इसी तरह अगले कुछ महीनों में दो प्राइवेट कंपनियां श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस पोर्ट और तिरुवनंतपुरम स्थित रॉकेट सेंटर पर अपने इंजनों की जांच करेंगे। इसरो अपने सैटेलाइट इमेजेस इस प्राइवेट कंपनी को देगा जो मैपिंग सर्विस के लिए काम करती है।