
अंतिम
ड्राफ्ट एनआरसी में लाखों की संख्या में हिंदी भाषियों और वास्तविक भारतीय
नागरिकों के नाम छूटने से चिंतित पूर्वोत्तर हिंदुस्तानी सम्मेलन और
नार्थईस्ट हिंदीभाषी समन्वय समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में उपरोक्त सभी के नाम एनआरसी में शामिल करने के तौर -तरीकों में
आवश्यक बदलाव और उन्हें सहज बनाने की गुहार लगाई है। आगामी 28 अगस्त को
मामले की सुनवाई होगी।
सम्मेलन के महामंत्री एसपी राय की ओर से दायर आवेदन
में उल्लेख किया गया है कि एनआरसी के दूसरे मसौदे से ज्यादातर वैध भारतीयों
के नाम विभिन्न कारणों से छूट गए हैं। उन्हें संपूर्ण एनआरसी में समाहित
करने के लिए सभी एनआरसी सेवा केंद्रों में हिंदी, उर्दू और फारसी लिपि को
पढ़ सकने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए, ताकि बाहरी राज्यों के
दस्तावेजों को आसानी से पढ़ा जा सके। याचिका में मांग की गई कि बिहार,
उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल, ओडिशा, राजस्थान
और हरियाणा के किसी भी दस्तावेज को जो 24 मार्च 1971 के पूर्व का हो या
बाद का, मान्य किया जाए।
अगर उन कागजातों को संबंधित राज्यों में सत्यापन
के लिए भेजा गया है और वे सत्यापित होकर एनआरसी अधिकारियों के पास नहीं आएं
तो भी उन्हें एनआरसी में शामिल किया जाए। यह मांग भी की गई कि असम के चाय
समुदाय की भातिं भूमिहीन, गरीब, अनपढ़, मजदूर भारतीय लोग, जिनके पास
नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज न हों और वेश-भूषा,भाषा, उपाधि से
पता चले कि वे बांग्लादेशी नहीं हैं तो उनके भी एनआरसी में शामिल किए जाए।
एेसे अनेक रिक्शा चालक, ठेला चालक, फल विक्रेता, सब्जी विक्रेता, चर्मकार,
जुलाहे और नाई आदि हैं, जो जन्म से भारतीय हैं और असम में रह रहे हैं,
लेकिन उनके पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं
हैं। मांग की गई है कि विवाहित महिलाओं के मामले में ग्राम पंचायतों या
अन्य किसी माध्यम से हासिल एेसे दस्तावेज, जिनसे उनकी नागरिकता का पता चलता
हो स्वीकारा जाए।
उन्हें भी एनआरसी में शामिल किया जाए। साथ ही भारतीय
नागरिकों के अपने पूर्वजों से लिंकेज कागजातों में छूट की मांग की गई है।
याचिका में मांग की गई है कि आवेदनकारियों के दावों की सुनवाई चक्राधिकारी
या उसके समतुल्य अधिकारी सीसीटीवी कैमरे के सामने करें। इस सारी प्रक्रिया
की वीडियो रिकार्डिंग रखी जाए। यह मांग भी की है कि एनआरसी की अंतिम सूची
जारी करने से पहले तीसरा मसौदा भी प्रकाशित किया जाए ताकि सभी पात्र लोगों
को पर्याप्त मौका मिल सके।
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