
असम में चल रहे एनआरसी में कथित रूप से गलत नाम जोड़े और हटाए जाने को लेकर BJP द्वारा की गई समीक्षा की मांग के बीच सरकार ने हाल ही में संकेत दिए थे कि वह इस पर कानून बनाने का रास्ता अख्तियार कर सकती है, लेकिन अब मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने साफ कहा कि राज्य के लोगों को एनआरसी मुद्दे पर घबराने की कतई ज़रूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि 31 अगस्त को प्रकाशित होने जा रही अंतिम एनआरसी में जिनके नाम नहीं हैं, उन्हें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। ड्राफ्ट एनआरसी में लगभग 41 लाख लोगों के नाम दर्ज नहीं हैं।
गुवाहाटी में गुरुवार रात एक कार्यक्रम में शिरकत के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, 'राज्य तथा केंद्र सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है, ताकि गलतियों के बिना एनआरसी का प्रकाशन सुनिश्चित हो सके। हम सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदर करते हुए समूची प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट स्वयं वर्ष 2013 से एनआरसी अपडेशन के काम की निगरानी कर रहा है। मुझे भरोसा है कि राज्य के लोग अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद भी उसी तरह सहयोग देते रहेंगे, जिस तरह उन्होंने ड्राफ्ट एनआरसी के प्रकाशन के बाद दिया था। अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद भी सभी समुदायों के बीच एकता, भाईचारा और शांति इसी तरह बनी रहेगी।'
एक अहम घटनाक्रम में गृह मंत्रालय ने भी एनआरसी से हटा दिए गए लोगों को इसके खिलाफ अपील करने देने की डेडलाइन को बढ़ाने का फैसला किया। मौजूदा समय में यह डेडलाइन 60 दिन की है, जिसे 120 दिन तक बढ़ा दिया गया है।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, 'अगर किसी का नाम हट गया है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। उनकी शिकायतों को सुनने के लिए पंचाट के ज़रिये व्यवस्था मौजूद है, और गृह मंत्रालय ने भी अपील के लिए 120 दिन की मोहलत दे दी है। गृह मंत्रालय ने पहले ही उन कदमों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट कर चुकी है, जो अंतिम एनआरसी से नाम हटा दिए जाने की सूरत में उठाए जाने हैं।'
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |