अफगानिस्तान के बाद अब भारत में खतरे की घंटी बज चुकी है। जी हां, अफगानिस्तान में तालिबान की मदद करके सत्ता दिला चुका पाकिस्तान अब भारत में खालिस्तान को मजबूत करने लग गया है। यह बड़ा खुलासा अमेरिकी टॉप थिंक टैंक ने किया है। उन्होंने कहाहै कि पाकिस्तान समर्थित अलगाववादी खालिस्तानी समूह अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि अमेरिकी सरकार इन संगठनों की भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए कोई काम नहीं कर रही है।

'हडसन इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित अपनी रिपोर्ट 'पाकिस्तान का अस्थिरता का षड्यंत्र : अमेरिका में खालिस्तान की सक्रियता में पाकिस्तान द्वारा इन संगठनों को दिए जा रहे समर्थन की जांच करने के लिए 'अमेरिका के भीतर खालिस्तान और कश्मीर अलगाववादी समूहों' के आचरण को आंका है।

इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान स्थित इस्लामी आतंकवादी संगठनों की तरह, खालिस्तानी संगठन नए नामों के साथ सामने आ सकते हैं। इसमें कहा गया, 'दुर्भाग्य से, अमेरिकी सरकार ने खालिस्तानियों द्वारा की गई हिंसा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है, जबकि खालिस्तान अभियान के सबसे कट्टर समर्थक ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में हैं।'

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जब तक अमेरिकी सरकार खालिस्तान से संबंधित उग्रवाद और आतंकवाद की निगरानी को प्राथमिकता नहीं दे रही है। ऐसे में अब उन समूहों की पहचान होने की संभावना नहीं है जो वर्तमान में भारत में पंजाब में हिंसा ऐसा करने की तैयारी कर रहे हैं।

हडसन इंस्टीट्यूट का कहना है कि पूर्वानुमान राष्ट्रीय सुरक्षा योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसलिए, उत्तरी अमेरिका में स्थित खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों की कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर जांच करना 1980 के दशक में खालिस्तान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा फिर से न होने देने के लिए महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया कि महत्त्वपूर्ण यह भी है कि अमेरिका के भीतर खालिस्तान से संबंधित भारत विरोधी सक्रियता हाल में बढ़ी है और वह भी तब जब अमेरिका और भारत चीन के बढ़ते प्रभाव खासकर हिंद-प्रशांत में, उसका सामना करने के लिए सहयोग कर रहे हैं।