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पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक रहे डॉ. अब्दुल कदीर खान (abdul qadeer khan) का हाल ही में निधन हो गया। खान को पाकिस्तान का नेशनल हीरो माना जाता था लेकिन वो कई विवादों के चलते भी सुर्खियों में रहे। अपने कारनामों के चलते उन्हें अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व डायरेक्टर जॉर्ज टेनेट ने ओसामा बिन लादेन जितना खतरनाक व्यक्ति बताया था।
कादिर खान का जन्म साल 1935 में भोपाल में हुआ था। वे विभाजन के 4 साल बाद अपने परिवार समेत पाकिस्तान (Pakistan) बस गए थे। उन्होंने साल 1960 में कराची यूनिवर्सिटी से मेटालर्जी यानि धातु विज्ञान की पढ़ाई की थी। इसके बाद परमाणु इंजीनियरिंग पढ़ने करने के लिए वे विदेश चले गए।
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उन्होंने 1967 में नीदरलैंड्स से मेटालर्जी में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने साल 1972 में बेल्जियम की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट हासिल की। साल 1972 में वे एमस्टरडैम में फिजिकल डायनेमिक्स रिसर्च लेबोरेटरी में नौकरी करने लगे थे। लेकिन 1974 में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया उस समय डॉक्टर अब्दुल खान (abdul qadeer khan) नीदरलैंड की इसी लैब में काम कर रहे थे।
जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1972 में वैज्ञानिकों और जनरलों के साथ एक गुप्त बैठक में कहा था कि आप सभी लोग इस बम को मेरे लिए और पाकिस्तान के लिए बनाएंगे। इस पूरे मिशन के दौरान जुल्फिकार के लिए ट्रंप कार्ड अब्दुल कादिर खान ही थे। उन्होंने साल 1976 में पाकिस्तान आने का फैसला किया और वे न्यूक्लियर प्रोग्राम को हेड करने लगे। 22 साल बाद पाकिस्तान ने अपना पहला परमाणु बम (pakistan nuclear bomb) बनाया।
कादिर खान पर विदेश से परमाणु बम बनाने की तकनीक (nuclear bomb technique) चुराने के आरोप लगे। इसे लेकर एक बार कदीर ने कहा था, मुझे इन सब चीजों से बिल्कुल परेशानी नहीं होती है, वे हमारे अल्लाह को पसंद नहीं करते, हमारे पैगंबर को पसंद नहीं करते, हमारी पवित्र कुरान को भी पसंद नहीं करते हैं तो फिर वे मुझे कैसे पसंद कर सकते हैं।
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