पाकिस्तान हिंदू परिषद (पीएचसी) ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (Khyber Pakhtunkhwa)के एक सदी पुराने टेरी मंदिर (Teri Mandir) को पिछले साल तोड़ दिया गया था। लेकन इस बार यहां दिवाली (Diwali Celebration) मनाने के लिए भव्य आयोजन किया गया है। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद (Pakistan CJP Gulzar Ahmed) को परिषद ने टेरी मंदिर में दीपोत्सव मनाने के लिए आमंत्रित किया है। इस मंदिर को पिछले साल एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के नेतृत्व में भीड़ ने तोड़ दिया था। मंदिर में आग लगा दी गई थी। हालांकि, बाद में पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। दीपोत्सव कार्यक्रम में सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हें।

टेरी मंदिर में वार्षिक मेले में भाग लेने के लिए सिंध और बलूचिस्तान से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए परिषद ने इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) से हसनाबदल में लगभग 1500 तीर्थयात्रियों को ठहरने और भोजन का बंदोबस्त करने की अपील की गई है। श्रद्धालुओं ने हसनाबदल पहुंचना शुरू कर दिया है, जहां से वे सोमवार को करक के टेरी इलाके के लिए रवाना होंगे और उसी दिन वापस लौटेंगे। यह तीर्थ खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में एक संत परमहंस जी महाराज से जुड़ा है, जहां मंदिर की स्थापना 1920 में हुई थी।

जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल से जुड़े एक स्थानीय मौलवी के नेतृत्व में पिछले साल दिसंबर में करीब 1000 लोगों की भीड़ ने इसे तोड़ दिया था। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में स्थानीय प्रशासन की ओर से बताया गया था कि इस घटना के बाद 109 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने  अक्तूबर 2021 में खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार को पुराने मंदिर में तोड़फोड़ करने वाले दोषियों से 3.3 करोड़ रुपये (1,94,161 अमेरिकी डॉलर) की वसूली करने का भी आदेश दिया। इससे पहले 1997 में पहली बार इस मंदिर पर हमला हुआ था। विरोध के बावजूद यहां पीएचसी के अध्यक्ष वांकवानी के प्रयासों से 2015 में दोबारा वार्षिक मेले की शुरुआत हुई।