अमेरिका अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की 11 सितंबर तक वापसी का ऐलान किया है। इसके साथ ही नाटो ने भी अपने सैन्य बल को वापस बुलाने का फैसला किया है। अमेरिका अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में पाकिस्तान की अहम भूमिका देखता है, लेकिन एक अमेरिकी सीनेटर ने उसकी पोला खोल कर रख दी और कहा है कि भारत का यह पड़ोसी मुल्क अपने दोनों हाथों से लड्डू खाता रहा है।

सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के चेयरमैन जैक रीड ने गुरुवार को अमेरिकी संसद में कहा कि तालिबान के कामयाब होने में बहुत बड़ा योगदान इस तथ्य का है कि तालिबान को पाकिस्तान में मिल रही सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने में अमेरिका नाकाम रहा है। कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना अपने देश में अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए तालिबान का इस्तेमाल करती रही है। यही वजह से कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी से ये आशंका जताई जा रही है कि तालिबान फिर सिर उठाएगा और इसका असर कश्मीर तक दिख सकता है।

एक समाचार एजेंसी के मुताबिक जैक रीड ने अपने दावा करते हुए एक हालिया अध्ययन का हवाला दिया। जैक रीड ने कहा कि पाकिस्तान में तालिबान की सुरक्षित पनाहगाह होना और इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (ISI) जैसे संगठनों के जरिये वहां की सरकार से समर्थन मिलना तालिबान के युद्ध को जारी रखने के लिए आवश्यक है। सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट नहीं कर पाने की अमेरिका की नाकामी इस जंग में वाशिंगटन की सबसे बड़ी गलती है।

जैक रीड ने अफगान स्टडी समूह का जिक्र करते हुए कहा कि तालिबानी आतंकवाद के लिए यह पनाहगाह जरूरी है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने मौके का फायदा उठाने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करते हुए तालिबान की मदद की।

जैक रीड ने बताया कि 2018 के आकलन के अनुसार पाकिस्तान ने सीधे तौर पर तालिबान को सैन्य और खुफिया सहयोग मुहैया कराया और इसकी वजह से अमेरिकी सैनिक, अफगान सुरक्षा बल के जवान और नागरिक मारे गए और अफगानिस्तान में बहुत तबाही हुई।

अमेरिकी सांसद ने कहा कि तालिबान को यह समर्थन पाकिस्तान द्वारा अमेरिका के सहयोग के विरोधाभासी है। पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र और अन्य सुविधाओं के इस्तेमाल की भी इजाजत दी जिसके लिए अमेरिका ने बहुत आर्थिक मदद की है।

जैक रीड ने बताया कि अफगान स्टडी समूह के अनुसार पाकिस्तान ने दोनों तरफ से फायदा उठाने की कोशिश की। यह भी कहा कि पाकिस्तान इन सबके साथ खुद भी कमजोर हो रहा है और परमाणु हथियार संपन्न होने के कारण यह खतरनाक है।

सांसद का कहना है कि इन सबके ऊपर पाकिस्तान का अपने पड़ोसी देश भारत से लंबे समय से संघर्ष चल रहा है और भारत भी परमाणु हथियारों से संपन्न देश है। पाकिस्तान और भारत लंबे समय से दक्षिण एशिया में संघर्ष में शामिल रहे हैं।

अमेरिकी सांसद ने कहा कि अमेरिका हमेशा अफगानिस्तान और इराक में राजनीतिक और सैन्य स्तरों पर उलझा रहा, और अमेरिका को मौका ही नहीं मिला कि वो पाकिस्तान पर फोकस करे। आलम यह हो गया कि स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती गई।

जैक रीड ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका और उसके गठबंधन सहयोगियों के सैनिकों की वापसी के फैसले के पीछे एक वजह है कि वे ऐसी अफगान सरकार का गठन नहीं करा सके जो जनता का भरोसा हासिल कर सके और सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय समेत बुनियादी सेवाएं मुहैया करा सके।