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कोरोना काल के दौरान हजारों की संख्या में शवों का अंतिम संस्कार कराने वाले शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी (Jitender Singh Shunty) को समाजेसवा के लिए राष्ट्रपति द्वारा मंगलवार को पदमश्री (Padma Shri) से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा, भगत सिंह ने 23 साल की उम्र में देश के खातिर फांसी का फंदा चूम लिया था, और मैं उन्ही से प्रेरित होकर अपना काम कर रहा हूं।
पद्म पुरस्कारों के वितरण का आयोजन दो भागों में रखा गया है, पहला चरण जो सोमवार को संपन्न हुआ, उसमें 2020 के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाले 141 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दूसरी ओर, मंगलवार को 2021 के लिए 119 लोगों को सम्मानित किया जाएगा। कला के क्षेत्र में मंगलवार को एकता कपूर (Ekta Kapoor) और करण जौहर (Karan Johar) को भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया जाएगा। दरअसल दिल्ली के झिलमिल वार्ड से दो बार पार्षद और शाहदरा से विधायक रह चुके जितेंद्र सिंह शंटी (Jitender Singh Shunty) पिछले करीब 26 सालों से शहीद भगत सिंह सेवा दल (Shaheed Bhagat Singh Seva Dal) नामक संस्था चला रहे हैं। यह संस्था नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराती है। जितेंद्र सिंह शंटी ने बताया, लोगों की सेवा के लिए हम करीब 25 वर्षों से काम कर रहे हैं। कोरोना काल के दौरान जब कोई किसी को हाथ नहीं लगा रहा था, तो हमने उनकी मदद की। मेरे अलावा मेरे ड्राइवर और बच्चों ने भी इसमें मेरा साथ दिया, इस दौरान मेरा एक ड्राइवर भी शहीद हुआ था।
उन्होंने कहा, हमने 4000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया। अब राष्ट्रपति द्वारा जो सम्मान दिया जा रहा है, उससे हमारा मनोबल और बढ़ गया है। यह अवॉर्ड मुझे नहीं बल्कि उन्हें मिल रहा है, जिन्होंने मेरे साथ मिलकर अपना साथ दिया। उन्होंने कहा, कोरोना की पहली लहर से अब तक हम 4 हजार से अधिक लोगों का अंतिम संस्करा करा चुके हैं। करीब 19 हजार से अधिक मरीजों के लिए हमारी एम्बुलेंस हर समय तैयार रही और हम उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे। इसके अलावा 14 हजार से अधिक लोगों की अस्थियाँ भी हमने विर्सजित कराईं। शंटी के अनुसार, इस साल 26 जनवरी को जब मेरा नाम आया इस अवार्ड के लिए आया तो उसके बाद कोरोना की दूसरी लहर आ गई। उस दौरान हमने पिछली बार से ज्यादा काम किया। उन्होंने कहा कि, मुझसे लोगों ने उस दौरान कहा था कि, अब आप पद्मश्री हो गए हैं तो शमशान घाट में आने की क्या जरूरत? तो मैं उनसे यही कहता था कि जुनून के आगे अवॉर्ड कुछ नहीं होता है।
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