कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul gandhi) की यह टिप्पणी कि भारत हिंदुओं का देश है और हिंदू और हिंदुत्व के बीच अंतर करने की उनकी परिभाषा ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asadiuddin Owaisi) ने अपने ट्वीट में कहा, राहुल और कांग्रेस ने हिंदुत्व के लिए जमीन तैयार की। अब वे बहुसंख्यकवाद की फसल काटने की कोशिश कर रहे हैं। ‘हिंदुओं को सत्ता में लाना’ 2021 में ‘धर्मनिरपेक्ष’ एजेंडा है। वाह! भारत सभी भारतीयों का है। अकेले हिंदू नहीं। भारत सभी धर्मों के लोगों का है और उनका भी है जिनकी कोई आस्था नहीं है।’’

हिंदू और हिंदुत्ववादी के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए, राहुल गांधी (Rahul gandhi) ने रविवार को जयपुर की एक रैली (jaipur Rally) में कहा, दो शब्दों का मतलब एक ही बात नहीं हो सकता। हर शब्द का एक अलग अर्थ होता है। हमारे देश की राजनीति में आज हिंदू और हिंदुत्व का अर्थ एक ही है। ये एक ही बात नहीं हैं, वे दो अलग-अलग शब्द हैं और उनका मतलब पूरी तरह से अलग चीजें हैं। मैं एक हिंदू हूं लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं हूं। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) एक हिंदू थे और नाथूराम गोडसे एक हिंदुत्ववादी थे। चाहे कुछ भी हों, हिंदू सत्य की तलाश में अपना पूरा जीवन ढूंढता है और खर्च करता है जबकि हिंदुत्व अपना पूरा जीवन सत्ता की तलाश और सशक्त होने में लगाता है। वह सत्ता के लिए किसी को भी मार डालेगा। हिंदू का मार्ग ‘सत्याग्रह’ है, जबकि हिंदुत्व का मार्ग सत्ताग्रह है।

राहुल की टिप्पणियों पर सफाई देते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा, सत्य, अहिंसा, प्रेम, भाईचारे और सहिष्णुता में विश्वास रखने वाला व्यक्ति हिंदू है। हिंदू किसी से नफरत नहीं करते और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हालांकि, हिंदुत्व हिंसा असहिष्णुता और नफरत फैलाने में विश्वास करता है। हिंदू और हिंदुत्ववादी के बीच वही अंतर है जो गांधी और गोडसे के बीच है। गहलोत ने आगे कहा, सही मायने में हिंदू सत्य, अहिंसा और सद्भाव में विश्वास करते हैं। कट्टरता और अतिवाद किसी भी धर्म में स्वीकार्य नहीं है। राहुल गांधी की सोच है कि भाजपा-आरएसएस (BJP-RSS) के नाम पर नफरत और हिंसा की राजनीति की जा रही है। इससे पहले भालपा ने भी राहुल गांधी के भाषण के बाद कांग्रेस पर हमला बोला था और कहा था कि हिंदू और हिंदुत्व की उनकी धारणा समझ से परे है।