भारत में चीन की दादागिरी को रोकने के लिए हिंद महासागर में 120 से ज्यादा युद्धपोत तैनात किए हैं। इस समय चीन विश्व शांति के लिए बड़े खतरे के तौर पर उभर रहा है। उसकी नापाक मंशा को देखते हुए दुनिया के ताकतवर देश गोलबंद हो गए हैं। इसी वजह से हिंद महासागर क्षेत्र में अब 120 से ज्यादा युद्धपोत तैनात हो चुके हैं। इस बारे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने जानकारी दी है। उन्होंने भारत और एशिया के साथ.साथ वैश्विक शांति की दृष्टि से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्व का जिक्र किया है।

जनरल रावत ने कहा कि आज भारत बढ़ी हुई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और शांति और स्थिरता के लिए सबसे अच्छा गारंटर है। हालांकि रावत ने पिछले सात महीनों से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के साथ चीन के साथ चल रहे गतिरोध का उल्लेख नहीं किया। लेकिन उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र के कई संदर्भों में एशियाई पड़ोसी का इशारों-इशारों में जिक्र जरूर किया।

जनरल रावत ने ये बातें ग्लोबल डायलॉग सिक्यॉरिटी समिट में अपने संबोधन के दौरान कहीं। उन्होंने वैश्विक दबदबे के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा विषय पर बोलते हुए कहा कि हाल के वर्षों में चीन की अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति बढ़ने के साथ-साथ क्षेत्र को प्रभावित करने की प्रतिस्पर्धा ने दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया है। अभी क्षेत्र से इतर से आए 120 से ज्यादा युद्धपोत हिंद प्रशांत क्षेत्र में अलग-अलग मिशनों के लिए तैनात हैं। विवादों को दिए जाएं तो क्षेत्र में अब तक शांति बनी रही है।

उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में इस क्षेत्र से बाहर के देशों ने भी अपने युद्धपोत भेज रखे हैं। ये युद्धपोत अलग-अलग मिशनों को अंजाम दे रहे हैं। सीडीएस ने कहा कि क्षेत्र के ज्यादातर देश उन्नत संपर्क साधनों और समुद्री अर्थव्यवस्था का दोहन कर ज्यादा.से.ज्यादा आर्थिक लाभ पाने की फिराक में हैं जिसके लिए आधारभूत ढांचों का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। क्षेत्र और बाहर की ताकतों ने वैश्विक राजनीति को संतुलित रखने और उसे अपने प्रभाव में लेने के लिए इन देशों के इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट में निवेश कर रही हैं।