बर्फबारी में लद्दाख को पहली बार देश के अन्य राज्यों से जोड़े रखने के लिए सेना की बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) श्रीनगर-लेह मार्ग को अधिकतर समय तक खुला रखने में जुटी है। नवंबर के पहले सप्ताह से ही इलाके में बर्फबारी के बाद बीआरओ ने बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है। खासकर जोजिला पास को खुला रखने की कोशिश है, जोकि इस हाइवे पर सबसे दुर्गम इलाका माना जाता है। जवान दिन रात माइनस तापमान और बर्फीले तूफानों में अपनी जान की परवाह किए बगैर काम में जुटे हैं। बीआरओ ने इसे ऑपरेशन ‘स्नो लेपर्ड’ का नाम दिया है।

गौरतलब है कि अमूमन बर्फबारी के चलते जोजिला पास करीब 6 महीने तक सर्दियों में बंद रहता था लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रशासन ने इस रास्ते को खुला रखने की जिम्मेदारी बीआरओ को सौंपी है। इस रास्ते के बंद होने से लद्दाख करीब 6 महीने देश के अन्य हिस्सों से कट कर रह जाता था जिसके कारण सिविलियन के साथ साथ सेना को भी दिक्कतें आती थीं। उन्हें पहले ही जरूरी सामान का स्टॉक रखना पड़ता था।

जानकारी के अनुसार 21 नवंबर से शुरू किए गए इस ऑपरेशन के दौरान कई बार इलाके में हिमस्खलन हुए हैं। करीब 6 लाइट मोटर व्हीकल्ज (एलएमवी) और 5 हेवी मोटर व्हीकल्स (एचएमवी) को बीआरओ के जवानों ने हिमस्खलन के दौरान रेसक्यू किया और करीब 15 से अधिक लोगों की जान बचाई। इस ऑपरेशन को कैप्टन विक्रम जाधव, जेई अमनदीप सिंह, जेई शाम राणा, जेई पीके शुक्ल, जेई जतिंदर की निगरानी में बीआरओ के कई जवान दिन-रात माइनस तापमान और बर्फीले तूफानों में अपनी जान की परवाह किए बिना अंजाम दे रहे हैं। बीआरओ के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि आए दिन जोजिला पास पर बर्फीले तूफान आते रहते हैं और करीब 30 से ज्यादा हिमस्खलन भी हो चुके हैं।

अधिकारी के मुताबिक इस काम में 5 डोजर, 5 स्नो कटर, 7 एक्सकेवेटर, 3 स्नो प्लौ जैसी मशीने इस्तेमाल में लाई जा रही हैं। सेना की सासे की टीम भी उनके साथ जोजिला पर तैनात है जो पल पल के मौसम के बदलाव की जानकारी उन तक पहुंचाती है। इसके आधार पर ही हर कार्य को अंजाम देने की योजना तैयार की जाती है। सासे टीम इलाके में हिमस्खलन की जानकारी भी देती है, जिससे क्लियरेंस का काम और गाडिय़ों की मूवमेंट करवाई जाती है। किसी भी हादसे के लिए सेना, पुलिस और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की टीमें पूरी तरह से तैयार हैं। एंबुलेंस और मेडिकल सुविधा का पूरा प्रबंध रखा गया है। 

यहां तक कि अवलांच रेसक्यू टीमें भी बनाई गई हैं जो ऐसी आपात स्थिति में रेसक्यू कार्य को अंजाम दे सके। वहीं कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर पीके पोले ने कहा कि निश्चित रूप से सर्दियों में इस मार्ग पर गाडिय़ों की मूवमेंट उचित नहीं है, लेकिन जब तक इसको खुला रख सकते हो तो वो रखना है। हादसों को लेकर पूरी एहतियात बरती जा रही है। पोले ने कहा कि कश्मीर संभाग वाली साइड से यह रोड प्रोजेक्ट बीकन और लद्दाख वाली साइड से प्रोजेक्ट हीमांक के पास है। जोजिला वाली साइड से इलाका दुर्गम है। कोशिश रहेगी कि रोड क्लियर होने पर भी लोग गाडिय़ों को चेन लगाकर जाएं। जब तक यहां से गांदरबल पुलिस और वहां से कारगिल पुलिस अनुमति न दे तब तक लोग इस मार्ग पर ट्रैवल न करें।