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प्याज खाने एक तरह से खास खजाना है। अलग अलग जगहों पर अलग नामों से जाना जाता है। हिन्दुस्तान में भी प्याज को कई तरह के नामों से जाना जाता है। संस्कृत में भी बहुत ही खुबसूरत नाम से प्रसिद्ध है। इसे संस्कृत में कृष्णावल कहते थे। जानकारी के लिए बता दें कि कृष्णातवल कहने के पीछे एक रहस्य छुपा हुआ है।
बता दें कि प्याज को कृष्णवल कहने का तात्पर्य यह है कि जब इसे खड़ा काटा जाता है तो वह शंखाकृती यानी शंख के आकार में कटता है। वहीं जब इसे आड़ा काटा जाता है तो यह चक्राकृती यानी चक्र के आकार में कटता है। ध्यान दें कि शंख और चक्र दोनों श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के आयुधों से संबंधित हैं। शंख और चक्र के कारण ही प्याज को कृष्णावल कहते हैं और साथ ही कृष्ण और वलय शब्दों को मिलाकर बना है कृष्णावल शब्द है।
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