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कतर में तालिबान नेता के साथ भारतीय राजदूत की पहली बार औपचारिक मुलाकात मंगलवार को हुई. सरकार की तरफ से खुद इस बारे जानकारी देते हुए कहा गया है कि इस दौरान अफगानिस्तान में फंसे भारतीय की सुरक्षा और उनकी वापसी पर चर्चा की गई। इस बीच, तालिबान के साथ बात करने को लेकर सरकार अब विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है. विपक्ष अब इसे मुद्दा बनाकर सरकार से सवाल पूछ रहा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा बुधवार को कि कहा कि सरकार यह बताएं कि क्या वह तालिबान को एक आतंकी संगठन मानती है या नहीं? उमर ने कहा- अगर वह आतंकी समूह है तो फिर क्यों आप उसके साथ बात कर रहे हैं? अगर आप उसे आतंकी संगठन नहीं मानते हैं तो संयुक्त राष्ट्र जाएं और वहां से उसे आतंकी संगठन की लिस्ट से हटवाएं. पहले अपना मन बना लें।
कल तालिबानी नेता से मिले भारतीय राजदूत
इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कतर में भारतीय दूत दीपक मित्तल ने तालिबान नेता एस. एम. अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। इस दौरान सुरक्षा, अफगानिस्तान से भारतीयों की जल्द वापसी पर चर्चा की गई। विदेश मंत्रालय ने बताया कि तालिबान के पक्ष से अनुरोध के बाद यह बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में हुई है. दोनों के बीच अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को लेकर चर्चा हुई है। इसके साथ ही, भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भी चर्चा की गई है।
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि इस अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उसकी फौरन वापसी पर चर्चा केन्द्रित रही। अफगान नागरिकों खासकर अल्पसंख्यकों, जो भारत आना चाहते हैं, उनको लेकर भी चर्चा की गई। भारतीय राजदूत मित्तल ने अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ न करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से आतंकवाद को समर्थन देने वाली किसी भी गतिविधि का अफगानिस्तान की धरती से समर्थन न मिले। विदेश मंत्रालय ने बताया कि तालिबान के नेता ने इस बात को लेकर भारतीय राजदूत मित्तल को आश्वस्त किया है कि इसे सकारात्मक तरीके से हल किया जाएगा।
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